The Ganges
  • होम
  • जानें
  • रिसर्च
  • संपर्क

कोसी नदी अपडेट - हमारे गाँव कठडूमर की कुछ जमीन कटाव में चली गयी, कुछ बालू बुर्ज हो गयी

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra
  • August-05-2024
हमारे गाँव कठडूमर की कुछ जमीन कटाव में चली गयी, कुछ बालू बुर्ज हो गयी।

कोसी तटबंधों के बीच का गाँव


कोसी तटबन्धों के बीच एक गाँव है कठडूमर जो सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखण्ड में स्थित है। अब कोई गाँव अगर कोसी तटबन्धों के बीच स्थित है तो उसे नदी कब समेट लेगी यह तो किसी को पता नहीं है। 1973 की बाढ़ में ऐसा ही हुआ कि इस गाँव के साथ यह अनहोनी घट गयी।

गाँव का कटाव और पुनर्वास की निराशाजनक स्थिति


कठडूमर में इस वर्ष हुई क्षति की जानकारी के लिये इस गाँव के एक 80 वर्षीय बुजुर्ग श्री बालेश्वर प्रसाद सिंह से बातचीत की। उनका कहना था कि हम लोग तो कोसी तटबन्धों के बीच अपने गाँव कठडूमर में ही रह रहे थे। 1973 में कोसी का प्रवाह हमारे गाँव के पूरब की तरफ गाँव और कोसी के पूर्वी तटबन्ध के बीच से था। कोसी नदी ने हमारे गाँव का कटाव करना शुरू कर दिया था और गाँव धीरे-धीरे लगभग पूरा कट गया था। 


गाँव का कटाव जैसे शुरू हुआ वैसे-वैसे लोग अपना सामान और मवेशी इत्यादि लेकर पश्चिम की ओर जाने लगे जहाँ हमारे खेत हुआ करते थे और वहीं झोपड़ी डाल कर जहाँ-तहाँ रह रहे थे थे। कोसी तटबन्धों के निर्माण के बाद पुनर्वास अभी तक हम लोगों को मिला नहीं था। जब भी हम लोगों ने विभाग से पुनर्वास की बात की तो उनका कहना था कि आप लोगों का गाँव कोसी धार के पश्चिम में है तो आपकी पुनर्वास की जमीन भी नदी के पश्चिम में ही मिलेगी। पूर्वी तटबन्ध के पूरब में जमीन नहीं मिलेगी।


पश्चिम में बागमती का पानी और पुनर्वास का संकट


हमारे गाँव के पश्चिम में कोसी नदी का पश्चिमी तटबन्ध समाप्त हो जाता था और वहाँ जाने का मतलब था कि उस समय वहाँ बागमती का पानी आता था जो कोपड़िया के नीचे कोसी से मिल जाती थी। अब हमारी हालत यह थी कि हम लोगों के गाँव के पूरब में कोसी बहती थी जबकि पश्चिम में, जहाँ पुनर्वास मिलने की बात कही जाती थी, बागमती का पानी आता था। हम लोग अभी भी इन दोनों नदियों के बीच एक तरह से टापू में बसे थे और विकल्प दो ही थे कि हम कोसी के पानी में डूबना पसन्द करते हैं या बागमती के। 


उत्तर बिहार की अधिकांश नदियों पर तब तक सरकार ने तटबन्ध बना दिया था मगर बागमती नदी का तटबन्ध हायाघाट के नीचे उसके कोसी से संगम तक ही बना था। हायाघाट पहुँचने के पहले बागमती का पानी उसी इलाके में फैलता था जहाँ हमें पुनर्वास दिये जाने की बात कही जाती थी। उतना ही नहीं इस क्षेत्र कमला और उसकी सहायक धाराओं का भी पानी आता था। तब हम लोगों ने वहाँ पुनर्वास लेने से मना कर दिया था और अपने मूल गाँव कठडूमर में ही रहने का निर्णय लिया।


कटाव का प्रभाव और आर्थिक कठिनाइयाँ


उस साल कोसी नदी हमारे गाँव के पूर्वी भाग से कटाव शुरू कर चुकी थी और उसने हमारे गाँव के बहुत से परिवारों के घर काट दिये। जिसका घर कटा वह पश्चिम की तरफ अपने खेत में रहने के लिये घर बनाता गया। कोसी के पूर्व की ओर हम लोगों की अब कोई गुंजाइश नहीं बची थी क्योंकि उधर की हमारी जमीन कटती जा रही थी और सरकार का कहना था कि वह पुनर्वास कोसी के पश्चिम के तरफ ही दे सकती है।

सरकारी सहायता की कमी और स्थानीय प्रयास


हमारा गाँव कठडूमर एक बड़ा और अपेक्षाकृत सम्पन्न गाँव था। यह पाँच हजार बीघे का मौजा था। इसलिये उसका कटाव इन परिस्थितियों में और भी ज्यादा बढ़ गया और जिसको जिधर सहूलियत मिली उसको उधर भागना पड़ा। कुछ लोग पूर्वी कोसी तटबन्ध पर ही आकर आबाद हो गये। पश्चिम की ओर पुनर्वास में जाने को कोई तैयार नहीं था पर अपनी जमीन पर बसने से तो कोई रोक नहीं सकता था। सरकार तो हमको पुनर्वास पश्चिम में देने की का बात भी करती थी पर हम लोग उस डुब्बा इलाके में जाना नहीं चाहते थे।

हम लोगों का सरकार से सवाल था की न तो सरकार हमारी पसन्द की जगह पुनर्वास दे रही है और न हम लोगों को कहीं जाने दे रही है और न ही कोई आर्थिक मदद कर रही है तो हम लोग क्या कर सकते हैं? जमीन पर बालू पड़ गया, पटवन की कोई सुविधा नहीं थी। सरकार से हम लोगों ने काफी बहस-मुबाहसा किया कि कुछ नहीं तो ट्रैक्टर और सिंचाई के लिये कोई व्यवस्था ही सरकार कर दे पर कुछ हुआ नहीं। हमारी समस्या थी कि हम लोग अनशन भी करें तो भी सरकार इसका संज्ञान नहीं लेती थी।

खानाबदोशों से बदतर जीवन


जब हमारा गाँव कटने लगा तब भोजन पर बड़ी आफत थी लोग अरवा चावल पानी में फुला-फुला कर खाते थे। कुछ परिवार अपनी नाव पर भी रहते थे क्योंकि घर तो नष्ट हो चुका था। कभी-कभी तो अपने मवेशी भी नाव पर रख लेते थे। कुछ लोगों ने गाँव के पश्चिम में झोपड़ियाँ डाल रखी थीं और अपने जानवरों को किसी ऊँची जगह पर रख दिया था। हमलोगों की हालत खानाबदोशों से बदतर हो गयी थी। भाग्यवश हमारे गाँव का कोई जानवर मरा नहीं। 1968 में जो कोसी का पश्चिम वाला तटबन्ध गोरौल के आसपास कई जगहों पर टूट गया था। उस बाढ़ में जरूर बड़ी संख्या में मवेशी बह गये थे और मरे भी थे।

उस समय नदी में पानी बहुत आया था मगर हम लोगों को इतनी परेशानी नहीं हुई थी जो तबाही कोसी के पश्चिमी तटबन्ध के टूटने से उस इलाके में हुई थी। उसने बहुत तब बरबादी की। हमारे गाँव में कई दो मंजिला, तीन मंजिला मकान थे उनमें से ज्यादातर कट गये और उसको भूल पाना आसान नहीं है। हमारे गाँव में चावल मिल थी। हम लोगों के अच्छे खासे घर थे। हमारे गाँव के लोग सरकार की आँखों में आँखें डाल कर उससे बात करते थे। वह सब चला गया।

यहाँ के एक बड़े नेता लहटन चौधरी हुआ करते थे जो राज्य के उप-मुख्यमंत्री पद तक पहुँचे जब तक वह सक्रिय थे तब तक बरसात के मौसम में हमारे यहाँ रिलीफ का काम होता रहा। जब यह गाँव कट रहा था उसके बाद तो रिलीफ मिली थी, नाव भी चल रही थी। ऐसा सरकार की तरफ से बाढ़ के समय होता था पर काफी कोशिश और कठिनाई के बाद। उसके बाद लूट-खसोट भी होने लगी थी। नाव चलाये बिना ही लोग पैसा ले लेते थे और कभी-कभी ऐसा भी होता था कि जिसकी नाव चलती थी उसका पैसा उसे नहीं मिलता था। उनमें से एक मैं भी था लेकिन कभी मैंने दफ्तर का चक्कर नहीं काटा और न ही किसी को खुश करने की कोई कोशिश की। 


बाद में हम लोगों ने बाँस और चचरी का पुल बनाना शुरू किया और उसके ऊपर से लोग आते-जाते थे और मोटर साइकिल भी पार कर लेते थे। 1971 में पाकिस्तान युद्ध के समय सरकार ने किसानों का चावल एक तरह से सीज़ कर लिया था और विपत्ति का वास्ता देकर भुगतान भी समय से नहीं किया था। हम लोगों ने मंत्री जी लहटन चौधरी से शिकायत की कि आप तो अंग्रेजों की सरकार की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो इस तरह से हमारा अनाज छीन रहे हैं।


वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजना


अब खेती की स्थिति काफी खराब हो गई है केवल मक्का होता है और जो भी दाम मिल जाये उसी में बेच देते हैं। इसलिये जो लाभ होना चाहिये था वह नहीं मिल पाता है। हमारे गाँव की कुछ जमीन कटाव में चली गयी, कुछ बालू बुर्ज हो गयी। उस समय हम लोग अपनी व्यवस्था कर लेते थे पर अभी तो वहाँ आधा रेगिस्तान और आधा पानी हो गया है। हार कर हमने 1974 में सहरसा में जमीन खरीद कर घर बना लिया है और यहीं रहने लगे हैं। खेती को यहीं से सम्हालते हैं।

श्री बालेश्वर सिंह


Ad

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

More

गंगा नदी अपडेट - तेजी से घट रहे हैं हिंदू कुश हिमालय के ग्लेशियर, तो क्या बूंद बूंद पानी को तरस जाएंगे अरबों लोग

गंगा नदी अपडेट - तेजी से घट रहे हैं हिंदू कुश हिमालय के ग्लेशियर, तो क्या बूंद बूंद पानी को तरस जाएंगे अरबों लोग

हिंदू कुश हिमालय पर्वतमाला के क्षेत्र में मौजूद ग्लेशियर, जो करोड़ों वर्षों से जीवन सभ्यताओं को सींच रहे हैं, उन्हें लेकर इंटरनेशनल सेंटर फॉर...
गंगा नदी अपडेट - मिर्जापुर के 17 नाले कर रहे हैं गंगा को मलिन, बिना किसी शोधन के नदी में जा रहा है सीवेज

गंगा नदी अपडेट - मिर्जापुर के 17 नाले कर रहे हैं गंगा को मलिन, बिना किसी शोधन के नदी में जा रहा है सीवेज

सनातन धर्म शास्त्रों में पतित पावनी गंगा नदी को मोक्षदायिनी "मां" का गौरव प्राप्त है, अनेकों संस्कृतियाँ, परम्पराएं और सभ्यताऐं गंगा के पवित...
गंगा नदी अपडेट - जलवायु परिवर्तन से तेजी से पिघल रहा गंगोत्री ग्लेशियर, 87 सालों में 1700 मीटर पीछे खिसका

गंगा नदी अपडेट - जलवायु परिवर्तन से तेजी से पिघल रहा गंगोत्री ग्लेशियर, 87 सालों में 1700 मीटर पीछे खिसका

भारत वासियों के लिए जीवनदायिनी और युगों युगों से अविरल बहती पतित पावनी गंगा को लेकर उत्तराखंड के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी की ओर...
असम की बाढ़, कारण और निवारण के बीच फंसे लोग

असम की बाढ़, कारण और निवारण के बीच फंसे लोग

असम में बाढ़ कोई नई घटना नहीं है। किन्तु मानसून के पहले ही चरण में बाढ़ का इतना ज्यादा टिक जाना और इसके लिए सरकार के मुखिया द्वारा लोगों पर दो...
लगातार बढ़ रहा है विश्व का तापमान - पिघलते हिमनद, जलवायु परिवर्तन के बीच क्या दो बूंद गंगाजल के लिए तरसता रह जाएगा सागर?

लगातार बढ़ रहा है विश्व का तापमान - पिघलते हिमनद, जलवायु परिवर्तन के बीच क्या दो बूंद गंगाजल के लिए तरसता रह जाएगा सागर?

(वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐ...
गंगा नदी अपडेट - गंगा नदी के प्रदूषण में इजाफा कर रही 190 औद्योगिक इकाइयों को किया गया बंद

गंगा नदी अपडेट - गंगा नदी के प्रदूषण में इजाफा कर रही 190 औद्योगिक इकाइयों को किया गया बंद

गंगा नदी प्रदूषण में इजाफा कर रहे 180 उद्योगों पर सोमवार 21 मार्च को केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। गंगा को प्रदूषित कर रहे पांच राज्यों के ...
Raman River Rejuvenation Model

Raman River Rejuvenation Model

Raman River Rejuvenation Model WHY NEED THIS MODEL?The existence of small and rainy rivers in India is nearing its end. The new generation h...
गंगा नदी अपडेट - ग्लेशियर पर बढ़ते दबाव से कांपती है धरती, दरकते हैं पहाड़ और नदियों का वेग होता है एकाएक तीव्र

गंगा नदी अपडेट - ग्लेशियर पर बढ़ते दबाव से कांपती है धरती, दरकते हैं पहाड़ और नदियों का वेग होता है एकाएक तीव्र

हिमालय पर्वत, जिसे लूज रॉक की संज्ञा भी दी जा सकती है, एक ऊंची ढाल का सेडिमेंट्री पहाड़ है। यानि ग्लेशियर पर बढ़ता दबाव हिमालयी क्षेत्र में छो...
गंगा नदी - वैश्विक प्रकृति और गंगा नदी के अत्याधिक दोहन का परिणाम है कोरोना वायरस

गंगा नदी - वैश्विक प्रकृति और गंगा नदी के अत्याधिक दोहन का परिणाम है कोरोना वायरस

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (137) : कर्म-अकर्म, क्रिया का प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया का क्रिया को बराबर समझना ज्ञान औ...
गंगा नदी – गंगा के बैक्टेरियोफेज की कर्मशक्ति को नहीं समझ पाना कोरोना जैसी आपदाओं का द्योतक है

गंगा नदी – गंगा के बैक्टेरियोफेज की कर्मशक्ति को नहीं समझ पाना कोरोना जैसी आपदाओं का द्योतक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (136) : कर्म, अकर्म और विकर्म गीता की मानवीय ज्ञान-शक्ति के संबंध का विश्लेषण है. यही गंग...
गंगा नदी : गंगा के बालू क्षेत्र का तकनीकी तौर पर एसटीपी के रूप में प्रयोग गंगा जल का संरक्षण करेगा

गंगा नदी : गंगा के बालू क्षेत्र का तकनीकी तौर पर एसटीपी के रूप में प्रयोग गंगा जल का संरक्षण करेगा

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (135): गंगा नदी के बालूक्षेत्र का तकनीकी उपयोग कोरोना वायरस से दूरी रखने का देश/विश्व स्त...
गंगा नदी के बालूक्षेत्र को एसटीपी के रूप में उपयोग करने और गंगाजल को संरक्षित करने को लेकर भारत सरकार को पत्र

गंगा नदी के बालूक्षेत्र को एसटीपी के रूप में उपयोग करने और गंगाजल को संरक्षित करने को लेकर भारत सरकार को पत्र

प्रधानमंत्री, भारत सरकार को पत्र : गंगा/नदी का बालूक्षेत्र वाराणसी सहित देश भर के कोरोना वायरस का सेनिटाइजर है. कृपया, देश रक्षार्थ इस...
Lock down & improvement in River water Quality - Only a temporary reprieve

Lock down & improvement in River water Quality - Only a temporary reprieve

Blog Source - Waterkeeper allianceMany people living close to the riverbanks in the Ganga Basin, including the Gomti River, believe that the...
गंगा नदी - औषधीय गुणों से भरपूर गंगाजल करेगा प्राकृतिक सैनिटाइजर का काम

गंगा नदी - औषधीय गुणों से भरपूर गंगाजल करेगा प्राकृतिक सैनिटाइजर का काम

विश्व भर में कोरोना वायरस ने करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया हुआ है, लाखों इसके चलते दम तोड़ चुके हैं. भारत में भी कोरोना पीड़ितों की संख्य...
गंगा  नदी - कोरोना वायरस को मात देने के लिए गंगा जल में स्थित बैक्टीरियोफेज का उत्तम उपयोग करना होगा और गंगा के प्रवाह को संरक्षित करना होगा

गंगा नदी - कोरोना वायरस को मात देने के लिए गंगा जल में स्थित बैक्टीरियोफेज का उत्तम उपयोग करना होगा और गंगा के प्रवाह को संरक्षित करना होगा

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus ; MMITGM : (134) हे भोलेनाथ! गंगाजल का बैक्टीरियोफेज क्या गोमुख का जैनेटिक कैरक्टर है? और क्या यह को...
गंगा नदी - पर्यावरण प्रेमियों की कड़ी मेहनत से चमका खरकाली गंगा घाट

गंगा नदी - पर्यावरण प्रेमियों की कड़ी मेहनत से चमका खरकाली गंगा घाट

नीर फाउंडेशन और पथिक सेना के नेतृत्व में मेरठ जिले के ऐतिहासिक खरकाली गंगा घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया गया. संयुक्त रूप से चलाये गए इस स्वच...
गंगा नदी - पर्वतरूपी महादेव और प्रकृति रूपी गंगा के तत्व को जानना जरुरी है

गंगा नदी - पर्वतरूपी महादेव और प्रकृति रूपी गंगा के तत्व को जानना जरुरी है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (132) :आकाश के सहस्त्रों तारों से, संतुलित ब्रह्माण्ड के समस्त पिण्डों के कण-कण में न्यूट्र...
गंगा नदी - गांगेय शक्ति संरक्षण के आधार पर होना चाहिए कोरोना वायरस आपदा का समाधान

गंगा नदी - गांगेय शक्ति संरक्षण के आधार पर होना चाहिए कोरोना वायरस आपदा का समाधान

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (131)गुण-कर्म के आधार पर शुद्रता का परिचायक चतुर्थ वर्ण के कोरोना वायरस का उत्थान कर्म के त...
गंगा नदी - धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य को मजबूती देती है

गंगा नदी - धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य को मजबूती देती है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (130) : देवता की पूजा, हृदय चित्रपटल पर देव मूर्ति की फोटोग्राफी से शक्ति-संग्रह करना है...
गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (129) :सब ओर से जैसे भजना को तैसे भजना, समस्त क्रियाओं के तदनुरूप प्रतिक्रियों का होना, पाप...
गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (128 ) :राग, किसी चीज से बेतहाशा लगाव शक्तिक्षय कारक है. भय, शक्ति-तरंगों का एकाएक भीतर प्...
गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (127) :ब्रह्म-शरीर, ब्रह्माड से इसके भीतर के अवस्थित अनन्त शरीरे आपस में जुड़े हुए हैं. हमा...
गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

सदियों से पृथ्वी लोक से लुप्त प्राय: हो रहे पुरातात्विक-योग की पुनर्स्थापना हेतु आया है कोरोना वायरस? हे भोलेनाथ ! मैं हूँ कौन? मेरे साथ हैं...
गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (122) गंगा किनारे के शहरों में कोरोना वायरस के संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा की शक्ति का पटा...
गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (46) : हिमालयन-शिवलिंग के बहु स्वरूपिय जलधारी, भूतलीय बहुमूल्य खनिजों के खजानों में अवस्थ...
गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (44) : हे, पूर्णशांत, आनंदानंद में समस्त ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन को कपकपाते अंतकरण में स्थ...
गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

केन्द्रस्थ : Catching-hold of Nucleus : MMITGM : (43) :आप की पूजा क्यों, भोलेनाथ? क्या आप अन्नदाता, ज्ञानदाता-शक्तिदाता हैं? यदि हैं, तो कैस...
गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

मातृ सदन (हरिद्वार) के गंगा तपस्वी श्री निगमानंद को अस्पताल में ज़हर देकर मारा गया। पर्यावरण इंजीनियर स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद (सन्यास प...
गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (41) ब्रह्म-मुख, पदार्थिय-शक्ति-प्रवाह-मार्ग वातावरण है। यही, ब्रह्म-रूप-धारी पंच-दिशाओं की...
गंगा नदी -  गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा नदी - गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विक...
गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

MMITGM : (41) : ब्रह्म-मुख, पदार्थिय, शक्तिपूर्ण, प्रवाह-मार्ग वातावरण है. यही ब्रह्म-रूपधारी, पंच-दिशाओं की, पंचमहाभूतों की प्रवाह-शक्ति का...
गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

भारत की आधी से अधिक जनसंख्या का पालन पोषण एक मां के समान करती है गंगा. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष..हर देशवासी कहीं न कहीं इसी गंगत्त्व से जु...
गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

MMITGM : (39) हे प्रचंड-आवेगों की विभिन्नता के शक्ति-तरंगों को अपने हृदयस्थ करने वाले हिमालयन-शिवलिंगाकार भोलेनाथ! आपने आकाश-मार्ग, पाताल-मा...
गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

MMITGM : (36)हिमालयन-शिवलिंग के बदलते स्वरूप से, इसकी न्यून होते शक्ति-संतुलन से, तीव्र होता विश्व की आर्थिक सम्पदा विघटन और प्रचंड होती विश...
गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

हिमालय तीन प्रमुख भारतीय नदियों का स्रोत है, यानि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र. लगभग 2,525 किलोमीटर (किमी) तक बहने वाली गंगा भारत की सबसे लंबी...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों, प्रांतों व देशों के लोग, विभिन्न शारीरिक एवं चारित्रिक गुणों के होते हैं, उसी तरह विभिन्न क्षेत्रों एवं देशों की ...
गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (34) हिमालयन शिवलिंग भारत सहित समस्त पृथ्वी के वातावरण और जलवायु के पर्वतीय पावर मोनीटरिंग ...
गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

नेशनल गंगा काउंसिल की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री माननीय मोदी ने कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास किए जा रहें हैं,...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

बरसात के बाद गंगा का जल-स्तर, मिट्टी का आयतन, ऑक्सीजन की मात्रा, ऊर्जा तथा शरीर का आकार घटने लगता है. ऐसी स्थिति में भूमिगत जल जो बरसात में ...
गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

कण-कण में, हर एक एटम में, एलेक्ट्रोन और प्रोटोन के बराबरी रूप से विराजमान न्यूट्रॉन, ब्रह्मांड को आच्छादित करने वाले, भगवान शिव से-हे भोलेना...
गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

MMITGM : (29), पहाड़ शिवलिंग हैं - भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! पहाड़ रूप महान स्थिर और केन्द्रस्थ, आप का शिवलिंग जड़ पाताल में कहाँ है पता नहीं. च...
गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

MMITGM : (27) भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! विश्व भर में पर्वतों के विभिन्न स्वरूपों को धारण करने वाले आप हैं. जैसे मानव शरीर में हृदय रक्त मस्ति...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

मानव युवा-अवस्था में प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु को बहुत हद तक अपने शरीर में व्यवस्थित करने का सामर्थ्य रखता है. उसी तरह गंगा की शक्ति बरसात ...
गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

भगवान शिव से- हे भोलेनाथ! आज भगवान श्रीकृष्ण के कथन, "अच्छेद्योअ्यमदाह्येअ्यमक्लेद्योअ्शोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोअ्यं सनातनः"।। (...
गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

MMITGM: 22 भगवान शिव से - हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं (गीता-2.22) जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करत...

गंगा नदी से जुड़ी समग्र नवीनतम जानकारियां

©पानी की कहानी Creative Commons License
All the Content is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Terms | Privacy