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हिंडन नदी - हिंडन माटी : सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों से अविरल होगी हिंडन नदी

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  • September-14-2018

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर जुलाई 2018 को हिण्डन नदी को बदहाली से उभारने का साहसी निर्णय लिया गया था। उस बीज रूपी निर्णय से निर्मल हिण्डन कार्यक्रम जन्मा, जिसने लगभग एक वर्ष का सफर तय करके हिण्डन सेवा के रूप में समाज और सरकार के समन्वय का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। हिण्डन सेवा का कार्य इस सोच के साथ प्रारम्भ किया गया था कि हिण्डन व उसकी सहायक नदियों को समाज के सहयोग से गंदगी मुक्त करना है। किसी पर भी हिण्डन सेवा में भाग लेने का कोई दबाव नहीं दिया लेकिन आग्रह सभी से यह किया गया कि जो नदी सैंकड़ों वर्षों से अपने निकट बसे समाज को खुशहाली देती आई है, आज जब वह गंदगी रूपी रोग से ग्रसित है तो उसका उपचार अथवा सेवा करने की जिम्मेदारी उसके पुत्रों/पुत्रियों की बनती ही है। इस आग्रह पर समाज ने भी निराश नहीं किया और वह उठ खड़ा हुआ हिण्डन सेवा के लिए।

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर जुला

सभी साथ बैठे, बात हुई, रणनीति बनी और हिण्डन सेवा प्रारम्भ हो गई। 22 अप्रैल का वह दिन साक्षी बना उस उल्लास का जब सरकार और समाज के नुमाइंदे अपनी हिण्डन नदी को गंदगी मुक्त करने के उद्देश्य से उसमें कूद पड़े। हिण्डन सेवा का कार्य पुरा महादेव के निकट से बहती हिण्डन नदी पर प्रारम्भ हुआ। हिण्डन नदी मेरठ और बागपत जनपद की सीमा रेखा है। नदी की पूर्वी दिशा में मेरठ जनपद तथा पश्चिमी दिशा में बागपत जनपद है। दोनों जनपदों की सीमा पर हिण्डन नदी की सेवा का कार्य एक साथ प्रारम्भ किया गया। मेरठ व बागपत दोनों जनपदों के प्रशासनिक अधिकारी तथा दोनों ही जनपदों के गांवों के प्रधान, बड़ी मात्रा में ग्रामीण, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, स्वयं सेवक व राजनैतिक कार्यकर्ता करीब 1500 की संख्या में एकत्र हुए और नदी सेवा में जुट गए। भयंकर प्रदूषण के कारण जिस हिण्डन नदी के निकट खड़ा होना भी दूभर था उसी गंदगी को नदी से बाहर निकाल फेंकने के लिए मन में नदी प्रेम की भावना के साथ हिण्डन प्रेमियों का जमावड़ा नदी में कूद पड़ा और एक ही दिन में करीब एक किलोमीटर तक नदी साफ कर दी।

कैसे बनी रणनीति

पुरा महादेव के निकट करीब पांच किलोमीटर तक हिण्डन नदी में जलकुम्भी अटी पड़ी थी। यहां यह अहसास तो होता था कि ये नदी का बहाव क्षेत्र है लेकिन नदी देखने को नहीं मिलती थी। इस स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया गया कि इस पांच किलोमीटर की नदी को ऐसा बनाना है जिससे कि नदी जल को सूर्य का प्रकाश तथा वायु दोनों सीधे मिल सकें अर्थात जल कुम्भी को नदी से निकालना है। इसके लिए सबसे पहले संबंधित अधिकारियों व निर्मल हिण्डन टीम की एक बैठक बुलाई गई। बैठक में नदी सफाई संबंधी सभी बिन्दुओं पर गहनता से विचार किया गया तथा सफाई की एक उचित रणनीति बनाई गई। इस दौरान उपयोग में आने वाली वस्तुओं को जुटाया गया। रणनीति के अनुसार नदी के दोनों ओर से एक साथ कार्य करने की योजना बनी। योजना में एक किलोमीटर की नदी को पांच बराबर हिस्सों में बांट दिया गया तथा बागपत व मेरठ जनपद की पांच-पांच टीमें बनाई गईं। प्रत्येक टीम को 200 मीटर की दूरी में ही कार्य करना था। इसके लिए प्रत्येक टीम को आवश्यकता के अनुसार उपकरण व मानव शक्ति (सरकारी व ग्रामीण) उपलब्ध कराई गई। प्रत्येक टीम में करीब 150 हिण्डन प्रेमियों की संख्या तय की गई। प्रत्येक टीम का एक समन्वयक नियुक्त किया गया, जिसके निर्देश पर उस टीम को कार्य करना था। सभी टीमों को निर्देश देने की जिम्मेदारी स्वयं डा. प्रभात कुमार ने संभाली।

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर जुला

हिंडन नदी मेरठ व बागपत जनपद की सीमा रेखा है। नदी की पूर्व दिशा में मेरठ जनपद तथा पश्चिमी दिशा में बागपत जनपद है। दोनों जनपदों की सीमा पर हिडन नदी की सेवा का कार्य एक साथ प्रारंभ किया। गया। मेरठ व बागपत दोनों जनपदों के प्रशासनिक अधिकाटी तथा दोनों ही जनपदों के गांवों के प्रधान, बड़ी संख्या में ग्रामीण, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, स्वयं सेवक व राजनैतिक कार्यकर्ता एकत्र हुए और नदी सेवा में जुट गए। भयंकर प्रदूषण के कारण हिण्डन नदी के निकट खड़ा होना भी दूभर था, उसी गंदगी को नदी से बाहर निकाल फेंकने के लिए मन में नदी प्रेम की भावना के साथ हिण्डन प्रेमियों का दल नदी में उतरा और एक ही दिन में करीब एक किलोमीटर तक नदी साफ कर दी।

“हिण्डन मेरे वजूद का अभिन्न अंग, हमेशा जुड़ा रहूंगा” - डा. प्रभात कुमार, कृषि उत्पादन आयुक्त, उप्र सरकार

निर्मल हिण्डन इनिशिएटिव  के अंतर्गत हिण्डन को निर्मल बनाने के प्रयासों के तहत अप्रैल 2018 में जनपद मेरठ-बागपत सीमा पर स्थित गांव पुरामहादेव से 'हिण्डन सेवा' के माध्यम से श्रमदान कार्य का आरम्भ किया गया। इसी प्रकार जनपद मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद सहित अन्य जिलों में भी जनसहयोग से हिंडन/सहायक नदियों की सफाई हेतु श्रमदान अभियान प्रारम्भ किये गये। इस दौरान प्रतिदिन विभिन्न क्षेत्रों से आए सभी आयु वर्ग के सैंकड़ों हिण्डन मित्रों द्वारा एकत्रित होकर श्रमदान किया गया। उनके द्वारा लगभग नाले में तब्दील हो चुकी इस नदी में उतरकर उसमें जमा कूड़ा-करकट व जलकुम्भी को साफ किया गया।

उनकी लगातार मेहनत से कई किलोमीटर लंबाई में नदी साफ दिखाई देने लगी, जो ना केवल हिण्डन मित्रों बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक सुखद आश्चर्य था। 50 दिन चले इस अभियान से प्रेरित होकर विभिन्न संगठनों/संस्थाओं एवं शासकीय कर्मचारियों द्वारा स्वेच्छा से इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया गया। जिस उत्साह एवं ऊर्जा के साथ हिण्डन मित्रों द्वारा श्रमदान किया गया, वह मेरे लिए बहुत ही आनंददायक रहा है। इससे इस कार्यक्रम की सफलता के प्रति मेरा विश्वास और प्रगाढ हुआ। यह वास्तविकता है कि प्रत्येक नागरिक पर्यावरण संरक्षण के लिये सच्चा प्रहरी बनने की क्षमता रखता है, जरूरत है तो सिर्फ उसको जागरूक व प्रेरित करने की और ऐसे व्यक्तियों को संगठित कर एक उचित मंच उपलब्ध कराने की। इसके लिये आवश्यक है कि निर्मल हिंडन कार्यक्रम की भावना का प्रसार अधिक से अधिक लोगों में किया जाए, ताकि वह इस कार्य को अपनी संस्कृति का हिस्सा बनाने की ओर अग्रसर हो सकें।

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर जुला

इसके साथ साथ प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर हिंडन से जुड़े सभी नागरिकों के मध्य एक ऐसा जुड़ाव पैदा किया जाए कि वह एक-दूसरे का हाथ थामे अपने-अपने हिस्से की हिंडन नदी की रखवाली करें। मैं मंडलायुक्त मेरठ के पद से कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के पद पर स्थानांतरित हुआ हूं, जिम्मेदारियां भी बढ़ी है, लेकिन प्रत्येक हिंडन मित्र को आश्वस्त करना चाहूंगा कि निर्मल हिंडन कार्यक्रम से, जो मेरे वजूद का एक अभिन्न अंग है और निर्मल हिंडन परिवार से, मैं उसी प्रकार जुड़ा रहूंगा जैसा कि अभी तक रहा हूं।

शीघ्र भेंट की कामना सहित प्रत्येक साथी से यह अनुरोध करना चाहूंगा कि 'हिंडन वन महोत्सव' के अंतर्गत इस वर्षा ऋतु में अधिक से अधिक पौधारोपण करें और साथ ही साथ यह श्रेयस्कर होगा कि पॉलिथीन का स्वयं ही त्याग करें, ताकि पर्यावरणीय प्रदूषण को कम से कम किया जा सके।

“समाज के सहयोग से ही निर्मल होगी हिंडन” - अनिता सी. मेश्राम मण्डलायुक्त, मेरठ

 हिण्डन निर्मल हिंडन कार्यक्रम के तहत हिंडन/सहायक नदियों को निर्मल व अविरल बनाने हेतु संचालित किए जा रहे निर्मल हिंडन कार्यक्रम ने पिछले एक वर्ष के दौरान महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। अपनी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से निर्मल हिंडन कार्यक्रम गत एक वर्ष के दौरान नदी किनारे बसे समाज को नदी के प्रति सचेत करने में भी सफल रहा है। हिंडन व उसकी दोनों प्रमुख सहायक नदियाँ काली (पश्चिमी) व कृष्णी, अपने बहाव क्षेत्र के सभी सात जनपदों की जीवन रेखा रही हैं। इन नदियों के किनारे ही यहाँ का समाज पला-बढ़ा व विकसित हुआ है। जबसे ये नदियाँ प्रदूषित हुई, तभी से समाज की विमुखता भी इन नदियों से हो गयी। निर्मल हिंडन कार्यक्रम के माध्यम से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं कि हिंडन और उसकी सहायक नदियों के साथ समाज का पुराना रिश्ता पुनः कायम हो सके।

हिंडन/सहायक नदियों में प्रदूषण के मुख्य कारक नदी किनारे बसे गांवों, कस्बों व शहरों से निकलने वाला गैर-शोधित घरेलू बहीस्राव तो है, साथ ही नदी किनारे उद्योग भी इसके लिए कसूरवार हैं। इन दोनों प्रमुख समस्याओं के समाधान हेतु शासन व प्रशासन स्तर पर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

मुझे उम्मीद हैं कि हम घरेलू अपशिष्ट व औद्योगिक तरल कचरे से शीघ्र ही निजात पा लेंगे। ऐसा होने से हिंडन/सहायक नदियों की करीब 80 प्रतिशत समस्याएँ स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी। निर्मल हिंडन कार्यक्रम किसी भी नदी के लिए एक अनूठा प्रयोग है। इस कार्यक्रम से जुड़कर कार्य करने वाले सभी हिण्डन मित्र बधाई के पात्र हैं। हिंडन को उसके पुराने स्वरूप में वापस लाने के लिए मेरा भरपूर प्रयास रहेगा। आओ हम सब मिलकर हिंडन को उसके प्रदूषण रूपी दर्द से मुक्त करायें।

कौन-कौन बने भागीदार

हिण्डन सेवा में मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार, अपर जिलाधिकारी प्रशासन मेरठ श्री सत्यप्रकाश पटेल तथा बागपत, डी.पी.आर.ओ. मेरठ श्री आलोक शर्मा, बागपत जनपद के डी.डी.ओ. श्री हूब लाल, अपर जिलाधिकारी बागपत सुश्री अन्नपूर्णा, नगर निगम मेरठ के श्री कर्णी, तहसीलदार मेरठ व बागपत, ए.डी.ओ. पंचायत मेरठ व बागपत, मण्डलायुक्त मेरठ के कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी, मेरठ व बागपत जनपद के विभिन्न गांवों के सचिव, दोनों जनपदों के विभिन्न गांवों के पटवारी, बुढ़ाना के अधिशासी अधिकारी श्री ओम गिरी के नेतृत्व में आई बुढ़ाना नगर पालिका की टीम, खिवाई़ हर्रा, सिवालखास, सरधना, बागपत, बड़ौत, पिलाना व खेखड़ा नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों के सफाई कर्मचारी, मेरठ जनपद से रसूलपुर, कल्याणपुर, किनौनी, करनावल, उकसिया, डालूहेड़ा, मिर्जापुर, रासना, लाहौरगढ़, आलमगिरपुर, जिटौला व कैथवाड़ी तथा बागपत जनपद से पुरा सहित दर्जनों गांवों के प्रधान, सामाजिक संगठन माई क्लीन सिटी के समन्वयक श्री अमित अग्रवाल व उनकी टीम के स्वयं सेवक, कदम फाउंडेशन की टीम के सदस्य, सारथी संस्था की टीम, गरीब निर्धन कन्या सेवा समिति की टीम के सदस्य, नेहरू युवा केंद्र मेरठ की टीम के सदस्य, राजनैतिक कार्यकर्ता श्री राहुल देव, श्री सचिन अहलावत, श्री सुनील रोहटा, बान-सोत नदी के अध्यक्ष श्री अजय टण्डन व उनकी टीम के सदस्यों, गौतमबुद्धनगर के सामाजिक कार्यकर्ता श्री रामवीर तंवर, मेरठ व बागपत जनपद के दर्जनों गांवों के सफाई कर्मचारी व मछुआरों सहित कार्यक्रम के प्रारम्भ से अंतिम दिन तक हजारों हिण्डन प्रेमियों ने भाग लिया।

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क्या-क्या कार्य हुए

1. हिण्डन सेवा के दौरान पुरा महादेव के निकट विभिन्न कार्य किए गए।

2. हिण्डन पुल के दोनों ओर करीब पांच किलोमीटर नदी को साफ किया गया। इस दौरान नदी से जलकुम्भी व अन्य गंदगी को बाहर निकाला गया।

3. नदी किनारों पर जमा हुई हजारों टन जलकुम्भी से खाद बनाने हेतु कृषि विभाग का सहयोग लिया गया। कृषि विभाग द्वारा जलकुम्भी का खाद में बदलने के लिए उस पर राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र द्वारा तैयार किए गए जैविक बूस्टर का छिड़काव किया गया।

4. नदी के दोनों किनारों से गंदगी को हटाकर उसको साफ-सुथरा बनाया गया तथा समतल किया गया।

5. नदी के दोनों ओर नदी की जमीन का चिन्हांकन व सीमांकन किया गया।

6. नदी के दोनों ओर वृक्षारोपण हेतु नदी की जमीन को अतिक्रमणकारियों से खाली कराने का कार्य किया गया।

7. समय-समय पर हिण्डन सेवा की समीक्षा करते रहे डा. प्रभात कुमार।

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हिण्डन सेवकों की सेवा

हिण्डन सेवा में लगे रहने वाले हिण्डन प्रेमियों के खाने-पीने की व्यवस्था लाहौरगढ़, मिर्जापुर, रासना व पुरा गांव के लोगों ने मिलकर की। जब तक हिण्डन सेवा का कार्य चला तब तक इन गांववासियों ने सामुहिक रूप से प्रतिदिन भंड़ारे की व्यवस्था की। भंडारे में प्रतिदिन करीब 200-300 हिण्डन प्रेमी भोजन करते थे। इनमें श्री राजीव त्यागी, श्री सचिन कुमार, श्री अमरीश त्यागी, श्री शरणवीर सिंह व उनकी टीम ने भंडारे की व्यवस्था की।

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दूरदर्शन व बैलेटबॉक्स की टीम

हिण्डन सेवा के कार्य को अपने कैमरों में कैद करने तथा उसको टेलीविजन के माध्यम से देश के लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से श्री तुमुल कक्कड़ के नेतृत्व में दूरदर्शन की एक टीम भी पहुंची। जिसने कि हिण्डन सेवा के पूरे कार्य को कैमरों के माध्यम से देखा, उसको कैमरों में कैद किया और फिर दूरदर्शन न्यूज पर प्रसारित किया। इसका प्रसारण दूरदर्शन समाचार चैनल (हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू) पर तीस अप्रैल को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान से जोड़कर किया गया। जन सरोकार से जुड़े संगठन बैलेटबॉक्स के दो सदस्य श्री स्वर्णताभ व श्री ऋषभ ने हिण्डन सेवा में आकर जहां श्रमदान किया वहीं हिण्डन सेवा के कार्य को अपने कैमरों में कैद भी किया। इस कार्य के आधार पर बैलेटबॉक्स द्वारा एक वीडियो तैयार किया गया जिसको कि यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया।

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उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ने किया दौरा

उत्तर प्रदेश सरकार के पशुधन, लघु सिंचाई व मत्सय विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री एस.पी.एस. बघेल ने पुरामहादेव आकर हिण्डन सेवा के कार्य को देखा। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास सभी नदियों के लिए किए जाने चाहिए। इससे समाज में जाग्रति के साथ-साथ नदियों का भी भला होता है।

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बुढ़ाना ने पाई प्रेरणा

हिण्डन सेवा से प्रेरणा पाकर बुढ़ाना कस्बे के अधिशासी अधिकारी श्री ओम गिरी के नेतृत्व में बुढ़ाना कस्बे के निकट से बहने वाली हिण्डन नदी पर भी 5 मई, 2018 को सफाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया। हिण्डन सफाई में बुढ़ाना के अपर जिलाधिकारी श्री कुमार भूपेन्द्र, बुढ़ाना नगर पालिका के कर्मचारी, कस्बे के निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता जुटे और करीब एक किलोमीटर की नदी को गंदगी मुक्त कर दिया। इस दौरान निर्मल हिण्डन की टीम के श्री राजीव त्यागी, शुभम कौशिक, अनुभव राठी, इंडियन रैड क्रोस सोसाइटी के डा. राजीव कुमार, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से श्री दीपक कुमार, सैफी जनसेवा समिति के डा. अब्दुल गफ्फार सैफी व नगर पंचायत से श्री सतीश कुमार आदि सैंकड़ों हिण्डन प्रेमियों ने हिण्डन सेवा में भाग लिया।

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मुजफ्फरनगर ने भी किया सफल प्रयास

मुजफ्फरनगर शहर के निकट से बहने वाली हिण्डन की प्रमुख सहायक नदी काली पश्चिमी पर जिला प्रशासन द्वारा विशेष सफाई अभियान चलाया गया। जिलाधिकारी श्री राजीव शर्मा द्वारा मुजफ्फरनगर शहर की सीमा में नदी से तमाम गंदगी निकालने के लिए लिए कार्य प्रारम्भ किया व उसको सफलतापूर्वक पूर्ण किया। नदी से हजारों टन कूड़ा व जलकुम्भी बाहर निकाली गई। इस कार्य में मुजफ्फरनगर जनपद के सफाई कर्मचारी व सामाजिक संगठन जुटे।

गाजियाबाद में भी प्रारम्भ हुआ कार्य

हिण्डन नदी मेरठ-बागपत से बहते हुए आगे गाजियाबाद जनपद में प्रवेश कर जाती है। गाजियाबाद में हिण्डन सेवा के कार्य को प्रारम्भ करने हेतु डा. प्रभात कुमार द्वारा 12 मई को गाजियाबाद जनपद में जिला निर्मल हिण्डन समिति के साथ बैठक की गई तथा नदी का भी निरीक्षण किया गया। बैठक में जिलाधिकारी श्रीमती ऋतु माहेश्वरी व नगरायुक्त, गाजियाबाद सहित समिति के सभी सदस्यों ने भागीदारी की। बैठक व निरीक्षण के पश्चात् निर्णय लिया गया कि 20 मई से हिण्डन सेवा का कार्य प्रारम्भ करना है।

गाजियाबाद में हिण्डन सफाई का कार्य मोहन नगर रेलवे पुल के निकट राजनगर एक्सटेंशन में प्रारम्भ किया गया। हिण्डन सेवा में गाजियाबाद की महापौर, नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य, सभी सभासद, नगर निगम के अधिकारी व सफाई कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता व शहर के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। मेरठ मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के नेतृत्व में जिला प्रशासन, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित अन्य हिण्डन प्रेमियों ने हिण्डन सेवा में भाग लिया। यह सफाई अभियान 31 मई तक लगातार संचालित किया गया, जिसके दौरान हिण्डन नदी से बड़ी मात्रा में जलकुम्भी व अन्य गंदगी को बाहर निकाला गया।

हिण्डन सेवा की समीक्षा

डा. प्रभात कुमार द्वारा समय-समय पर हिण्डन सेवा के कार्य का निरीक्षण किया जाता रहा। 50 दिन चली हिण्डन सेवा के दौरान डा. प्रभात कुमार ने पुरामहादेव (कार्य स्थल) का चार बार दौरा किया। पुरामहादेव गांव में विभिन्न गांवों के प्रधान तथा मेरठ व बागपत के अधिकारियों के साथ दो बार बैठक कर हिण्डन कार्य की समीक्षा की। समीक्षा बैठक के दौरान हिण्डन की अपनी जमीन का चिंहाकन, वृक्षारोपण की योजना, गांवों के तालाबों को पुनर्जीवित करना तथा गांव समाज को हिण्डन सेवा के कार्य में भागीदार बनाने जैसे निर्णय लिए।

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर जुला

समीक्षा के पश्चात मेरठ व बागपत जनपद के तहसीलदार की संयुक्त टीम बनाकर नदी के दोनों किनारों की जमीन को चिन्हित किया गया। नदी के दोनों किनारों पर चिन्हित की गयी जमीन को खाली कराने की कार्यवाही भी की गयी। इन सभी कार्यों पर डा. प्रभात कुमार ने सीधे नजर बनाए रखी।

हिंडन सेवा की उपलब्धि

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत प्रारम्भ की गई हिण्डन सेवा, हिण्डन व उसकी सहायक नदियों को गंदगी मुक्त बनाने तक अनवरत चलने वाला कार्यक्रम है। 22 अप्रैल, 2018 से प्रारम्भ होकर 30 मई, 2018 को सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। इस हिण्डन सेवा से प्रेरणा पाकर हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के बहाव क्षेत्र के सभी जनपदों में नदी सफाई का कार्य प्रारम्भ हो गया। यही इस हिण्डन सेवा की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।

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तकनीकी कार्यशाला का आयोजन

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत 9 जून, 2018 को मण्डलायुक्त सभागार, मेरठ में एक तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का प्रारम्भ मण्डलायुक्त मेरठ डा. प्रभात कुमार ने दीप प्रज्जवलित करके किया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हिण्डन/सहायक नदियों के तकनीकी पक्ष को समझकर उसके आधार पर समाधान की योजना बनाना था। हिण्डन/सहायक नदियां के अध्ययन का तकनीकी प्रस्तुतीकरण दिल्ली की संस्था इंटेक के अध्यक्ष डा. मनु भटनागर व सदस्य मौ. साजिद इदरीस ने किया। कार्यशाला में निर्मल हिण्डन के पांच मूल मंत्रों के आधार पर पांच समूह बनाए गए। इन पांचों समूहों में अलग-अलग विषयों पर विस्तार से परिचर्चा की गई।

वनीकरण समूह के संचालक निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के समन्वयक श्री डी. वी. कपिल व अध्यक्ष मुख्य वन संरक्षण, मेरठ मण्डल श्री ललित वर्मा थे। हरित कृषि समूह की संचालक इंटेक की सुश्री रितु सिंह व अध्यक्ष कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री सुनील कुमार अग्निहोत्री थे। अपशिष्ट प्रबंधन की संचालक इण्डिया वाटर पार्टनरशिप की डा. वीना खण्डूरी व अध्यक्ष अपर जिलाधिकारी प्रशासन मेरठ श्री रामचन्द्र थे। तालाबों का पुनर्जीवन की संचालक वाटर रिसोर्स ग्रुप 2030 की सुश्री एनालिका एम. लनिंगा व अध्यक्ष सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता श्री हृदय नारायण सिंह थे तथा शासन की सहभागिता के संचालक इंटेक के अध्यक्ष डा. मनु भटनागर व अध्यक्ष अपर आयुक्त मेरठ श्री जय शंकर दूबे थे। इन सभी समूहों में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। सभी समूहों ने अपने-अपने विषयों पर तकनीकी प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किए।

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प्रस्तुतीकरण में सभी ने पांच मूलमंत्रों से संबंधित हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के विषय में भविष्य की रूपरेखा तय की। कार्यशाला में डा. प्रभात कुमार ने सभी को बताया कि निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत जितने भी कार्य अभी तक हुए हैं, वे सभी समाज की सहभागिता से संभव हो सके हैं। हमें भविष्य की योजनाएं भी समाज की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए ही तैयार करनी होंगी, जिससे कि यह कार्यक्रम स्थाई रूप से संचालित हो सकेगा।

कार्यशाला में आर्य समाज सेवा संगठन के श्री सूर्यकांत कौशिक, ग्रीनमैन श्री विजयपाल बघेल, जनहित फाउंडेशन से श्रीमती अनीता राणा, ग्रामीण हैल्थ केयर से श्रीमती सोनिया वोहरा, शामली से डा. उमर सैफ, सहारनपुर से देवभास्कर पाण्डे, सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती मंजु गुप्ता, मुस्कान ज्योति से श्री मेवालाल, समाज विकास संस्थान से श्री के. के. तोमर, सहयोगी सेवा समिति से श्री विनोद कुमार, निर्धन कन्या सेवा समिति से श्री सचिन तोमर, भारत विकास परिषद से श्री बी. डी. शर्मा, बान-सोत समिति से श्री अजय टण्डन, सिंसेयर से श्री धर्मपाल शर्मा तथा आर्ट ऑफ लिविंग से श्री बालकिशन सहित सामाजिक कार्यकताओं, औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधियों तथा संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया.

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार की अध्यक्षता में 8 जून, 2018 को मण्डलायुक्त सभागार मेरठ में बुलाई गई। बैठक का उद्देश्य अभी तक किए गए कार्यों की समीक्षा करना तथा आगामी 6 माह की योजनाओं को तय करना था। बैठक में डा. प्रभात कुमार ने निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के पांच मूल मंत्रों (वनीकरण, हरित कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन, तालाबों का पुनर्जीविन व शासन की सहभागिता) के तहत किए गए कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने सभी से हिण्डन/सहायक नदियों की बेहतरी के लिए ईमानदारी से कार्य करने का आग्रह किया।

हिण्डन वन महोत्सव के संबंध में डा. प्रभात कुमार ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि हिण्डन/सहायक नदियों के बहाव क्षेत्र के सभी सात जनपदों में करीब 11 लाख पौधों का रोपण किया जाना है, जिसमें कि बागपत में दो लाख, मेरठ में एक लाख, गाजियाबाद में एक लाख, गौतमबुद्धनगर में पचास हजार, सहारनपुर में तीन लाख, मुजफ्फरनगर में ढाई लाख तथा शामली में एक लाख पौधों का रोपण किया जाना है। इसके लिए गाजियाबाद जनपद में 171.9830 हैक्टेयर तथा सहारनपुर जनपद में 449 हैक्टेयर खाली पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण किया जाना है। पौधों के रोपण हेतु सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाए। सभी पौधे वर्षा ऋतु प्रारम्भ होते ही रोपित करा दिए जायें।

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर जुला

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के दूसरे बिन्दु तालाबों का पुनर्जीवन के संबंध में बैठक में जानकारी साझा करते हुए बताया कि अलग-अलग जनपदों में तालाबों का चयन कर लिया गया है। इसमें सहारनपुर में 33, मुजफ्फरनगर में 200, मेरठ में 26 व गाजियाबाद में 26 तालाब पुनर्जीवित किए जाने हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन हेतु हिण्डन/सहायक नदियां में गिरने वाले नालों के मुहाने पर जाल लगाए जाएं, जिससे कि ठोस अपशिष्ट नदी में ना जा सके, साथ ही नदी या नाले में कूड़ा डालने पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशों का अनुपालन करते हुए अर्थदण्ड लगाया जाए। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि प्रत्येक जनपद में नदी की सफाई का अभियान भी संचालित कराएं। हिण्डन/सहायक नदियों में औधोगिक ईकाइयों से निकलने वाले गैर-शोधित तरल कचरे पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाए, साथ ही कस्बों व शहरों में एस.टी.पी. की स्थापना की जाए। औद्योगिक इकाइयों से जिस स्थान पर कूड़ा-कचरा डाला जाता है उस स्थान को साफ-सुथरा बनाया जाए तथा उद्योगों पर निगरानी हेतु विशेष निगरानी दल गठित किए जायें।

हिण्डन/सहायक नदियों के किनारे के गांवों में हरित कृषि का कार्य प्रारम्भ किया जाए। इसके लिए सभी सात जनपदों में विशेष प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जायें। इसके लिए सभी जनपदों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं, ये नोडल अधिकारी निर्मल हिण्डन कार्यालय को समय-समय पर अपने जनपद की हिण्डन/सहायक नदियां से संबंधित गतिविधयों के बारे में अवगत कराते रहें। समीक्षा बैठक में अपर आयुक्त मेरठ श्री जय शंकर दूबे, अपर आयुक्त सहारनपुर मण्डल श्री उदयीराम, नगर आयुक्त मेरठ व सहारनपुर नगर निगम, अपर आयुक्त उद्योग, उप निदेशक पंचायत मेरठ व सहारनपुर मण्डल, संयुक्त सचिव कृषि निदेशक मेरठ व सहारनपुर मण्डल, क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग, अधीक्षण अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम तथा अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई मेरठ उपस्थित रहे।

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कचरा समाधान महोत्सव – 2018

वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार का ठोस कचरा एक बड़ी समस्या बना हुआ है। बड़े शहर हों, छोटे कस्बे या फिर गांव हर जगह कचरे की भरमार है। आधुनिक जीवन शैली के कारण कचरे के ढेर दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। इस कठिन समस्या के समाधान की पहल गाजियाबाद जिला प्रशासन द्वारा दो दिवसीय कचरा समाधान महोत्सव आयोजित करके की गई। कचरा समाधान महोत्सव 2223 अप्रैल, 2018 को रामलीला मैदान, गाजियाबाद में आयोजित किया गया।

कचरा समाधान महोत्सव का उद्घाटन विदेश राज्य मंत्री जनरल (रिटायर्ड) श्री वी.के.सिंह के द्वारा किया गया। इस अवसर पर गाजियाबाद की महापौर श्रीमती आशा शर्मा, जिलाधिकारी श्रीमती रितु माहेश्वरी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री वैभव कृष्ण, नगरआयुक्त श्री चन्द्र प्रकाश सिंह सहित शहर के अनेक गणमान्य महानुभाव मौजूद रहे। इस अवसर पर श्री वी.के.सिंह ने कहा कि जब समाज में कचरे के पुनः उपयोग की समझ विकसित हो जाएगी तो कचरे की समस्या से अपने आप छुटकारा मिल जाएगा। कचरा समाधान महोत्सव का उद्देश्य घरों से निकलने वाले कूड़े-कचरे के प्रति लोगों के नजरिये में बदलाव लाना था। यह विचार सबके मन में समाहित करना था कि कचरा समस्या नहीं आमदनी का श्रोत भी बन सकता है। जिस कचरे से पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य को नुक्सान होता हो वह कैसे घर की शोभा बढ़ा सकता है? यह समझना आवश्यक है।

कचरा समाधान महोत्सव में विभिन्न स्कूलों के करीब पांच हजार छात्रों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों व अन्य जागरूक नागरिकों ने भाग लिया। इस अवसर पर कचरे का समाधान बताने के लिए अलग-अलग गोष्ठियां, प्रशिक्षण व प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। विभिन्न प्रकार के कचरे से बने सामानों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। गाजियाबाद की जिलाधिकारी श्रीमती रितु माहेश्वरी ने बताया कि कचरा समाधान महोत्सव भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर आयोजित किया गया। यह महोत्सव पूरी तरह से सफल रहा। इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी किए जाएंगे।

हरित कृषि के लिए आगे आ रहे हैं हिंडन किनारे के किसान

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के पांच मूल मंत्रों में से एक 'हरित कृषि' का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। नदी बहाव के सभी सात जनपदों हिण्डन/सहायक नदियों के किनारे के गांवों में किसानों के साथ संबंधित जनपद के कृषि विभाग द्वारा विचार गोष्ठियां व प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए विषय विशेषज्ञ व कृषि अधिकारी पूरी मेहनत से लगे हैं। इन कार्यक्रमों में किसान भी बड़ी संख्या में पहुंचकर लाभ ले रहे हैं। इन गोष्ठियों में जहां किसानों को रसायनमुक्त कृषि के गुण-दोष से अवगत कराया जा रहा है, वहीं सरकारी विभागों की किसानों के लिए संचालित योजनाओं की भी सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है। अभी तक सभी सात जनपदों में एक-एक प्रशिक्षण शिविर (19 मई को बागपत, 24 मई को गाजियाबाद, 29 मई को मेरठ, 19 जून को मुजफ्फरनगर, 20 जून को गौतमबुद्धनगर, 29 जून को सहारनपुर तथा 4 जुलाई को शामली) में लगाए जा चुके हैं।

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इन सात शिविरों में करीब 5000 किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, प्रशिक्षण के दौरान किसानों को स्वयं के खाद बनाने, उसके ठीक प्रकार से इस्तेमाल किए जाने, फसल चक्र अपनाने, स्वयं सहायता समूह गठन, प्रमाणीकरण तथा बाजार आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाती है। जिन गांवों के किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उनके गांव में किसानों के समूहों का गठन किया जा रहा है। इन समूहों के माध्यम से किसानों की कृषि भूमि का पार्टीसिपेटरी गारंटी सिस्टम के तहत प्रमाणीकरण भी कराया जाएगा, जिससे कि किसानों को उनकी फसलों के बाजार में उचित दाम मिल सकेंगे। किसानों को बीज से लेकर बाजार तक की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सभी प्रकार का सहयोग दिया जा रहा है। किसानों को बाजार की सुविधा के लिए फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन कम्पनियों में किसान अपने समूह के माध्यम से अपनी फसलों के उचित दाम प्राप्त कर सकते हैं तथा फसल उत्पादों को प्रोसेस करके भी बाजार में बेच सकते हैं।

इन सभी प्रशिक्षणों का उद्देश्य नदी किनारे के किसानों को रासायनिक खेती से छुटकारा दिलाना है। इससे किसान की कृषि मिट्टी स्वस्थ होगी, किसान को आर्थिक लाभ होगा, भूजल की गुणवत्ता में सुधार होगा, पर्यावरण को लाभ होगा, स्वास्थ्य लाभ होगा तथा हिण्डन में रासायनिक तत्वों के अंश नहीं जा पाएंगे।

प्रारंभ की गयी सरधना नाले की सफाई

डा. प्रभात कुमार द्वारा निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत हिण्डन/सहायक नदियों में गिरने वाले गंदे नालों की सफाई की मुहिम का आगाज किया गया। इस मुहिम में सबसे पहले सभी नालों की वर्तमान स्थिति का सर्वेक्षण कराया गया। नालों से हिण्डन/सहायक नदियों में गिरने वाले तरल कचरे की मात्रा का आंकलन भी किया गया। इन नालों के माध्यम से ही गांव, कस्बे, शहर व उद्योगों का तरल कचरा नदियों में पहुंचता है। सरधना नाला अत्यधिक प्रदूषित नाला रहा है, जोकि सरधना कस्बे से निकलकर हिण्डन नदी में मिलता है।

22 जून को जिलाधिकारी मेरठ श्री अनिल धींगरा, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) श्री रामचन्द्र, उप जिलाधिकारी सरधना श्री राकेश कुमार सहित तहसीलदार, सिंचाई विभाग व प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की एक टीम के साथ डा. प्रभात कुमार ने स्वयं जाकर सरधना नाले का निरीक्षण किया। यह नाला सरधना कस्बे से प्रारम्भ होता है और करीब 8 गांवों के मध्य से होते हुए अंत में कलीना गांव के निकट जाकर हिण्डन नदी में समाहित हो जाता है। इसमें सरधना कस्बे में मौजूद करीब 150 पशु डेयरियों से निकलने वाला पशुओं का गोबर, मूत्र, घरेलू बहिस्त्राव तथा सरधना में मौजूद पेपर मिल का तरल कचरा भी वर्षों से बहता रहा है। इस कारण से यह नाला सड़क की ऊंचाई तक गंदगी से भरा हुआ था। नाले के ऊपर की परत इतनी सूख चुकी थी कि उस पर पैदल चला जा सकता था, जबकि उसके नीचे पानी बह रह रहा था।

सरधना की डेयरियों, नाले तथा पेपर मिल के निरीक्षण के पश्चात डा. प्रभात कुमार द्वारा सभी अधिकारियों के साथ सरधना तहसील परिसर में बैठक की गई। इसमें डा. प्रभात कुमार द्वारा डेयरियों व नाले से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए गए। उन्होंने सरधना के उपजिलाधिकारी, पुलिस क्षेत्राधिकारी, अधिशासी अधिकारी (नगर पालिका सरधना) तथा मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिए कि वे सरधना कस्बे के अन्दर गंदगी फैला रहीं पशु डेयरियों को सी.आर.पी.सी. की धारा-133 के अन्तर्गत नोटिस जारी करके यह सुनिश्चित करें कि किसी भी डेयरी का गोबर नाली में ना बहे। जो डेयरियां नालियों में गोबर बहा रही हों, उनके विरूद्ध माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा ओ.ए. संख्या-138/2015 कृष्णपाल बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया व अन्य मामलों में दिनांक 22/09/2015 को पारित आदेश में दिए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर रुपए 20,000/प्रति बार के हिसाब से जुर्माना आरोपित कर वसूलने की कार्यवाही करें। डेयरियों का निरीक्षण करके इनको कस्बे से बाहर किसी अन्य स्थान पर स्थानान्तरित करने की कार्यवाही की जाए, जिसमें कि तहसील प्रशासन सहयोगी की भूमिका निभाए। डा. प्रभात कुमार ने सरधना कस्बे के अन्दर से प्रतिदिन निकलने वाले ठोस कचरे के ठीक प्रकार से निस्तारण के लिए भी निर्देश दिए।

नाले के संबंध में उपजिलाधिकारी सरधना, अधिशासी अधिकारी (सरधना नगर पालिका) तथा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता को निर्देश दिए गए कि नाले की सफाई हिण्डन नदी तक कराई जाए, जिससे कि नाले का गंदा पानी नदी में जाकर न मिल सके। इसके लिए सरधना में मौजूद पेपर मिल से रिसोर्स लें और नाले की सफाई कराएं, क्योंकि इस नाले को प्रदूषित करने में पेपर मिल भी कसूरवार है। उन्होंने पेपर मिल पर छापा मारकर उसका नाला भी बंद करा दिया। अब मिल अपना किसी भी प्रकार का पानी बाहर नहीं निकाल सकेगा। निरीक्षण के दूसरे दिन नाले की सफाई का कार्य प्रारम्भ भी हो गया। इस कार्य में सरधना नगर पंचायत की टीम के साथ सरधना पेपर मिल ने दो पोर्कलेन मशीने उपलब्ध कराई गई। सफाई के पश्चात नाला पहले से बेहतर स्थिति में दिखने लगा है।

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सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम में सिंचाई विभाग की अतिमहत्वपूर्ण भूमिका प्रारम्भ से ही रही है। सिंचाई विभाग की महत्ता को ध्यान में रखते हुए ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई हिण्डन समिति में विभाग के अधीक्षण अभियंता, ड्रेनेज खण्ड (गाजियाबाद) को सदस्य सचिव बनाया गया था। हिण्डन/सहायक नदियां सिंचाई विभाग के ड्रेनेज खण्ड के अन्तर्गत ही आती हैं। नहरों में पानी की अधिकता हो जाने पर पानी को नदियों में डालना अथवा नदी के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पानी देना आदि कार्य सिंचाई विभाग ही करता है।

मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार द्वारा आयुक्त कार्यालय सभागार में 29 जून को सिंचाई विभाग द्वारा हिण्डन/सहायक नदियों को अविरल व निर्मल बनाए जाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की गई। बैठक में सिंचाई विभाग से मुख्य अभियंता (यमुना), मुख्य अभियंता (गंगा), अधीक्षण अभियंता (प्रथम मण्डल, सिंचाई कार्य, मेरठ), अधीक्षण अभियंता (सिंचाई कार्य, मण्डल सहारनपुर), अधिशासी अभियंता (मेरठ, मुजफरनगर, हापुड़, सहारनपुर, गाजियाबाद, शामली व रूड़की), निर्मल हिण्डन के समन्वयक श्री डी. वी. कपिल तथा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने भी भाग लिया।

समीक्षा बैठक के प्रारम्भ में अधीक्षण अभियंता ड्रेनेज खण्ड (गाजियाबाद) श्री एच. एन. सिंह ने जानकारी दी कि हिण्डन/सहायक नदियों को निर्मल व अविरल बनाने हेतु नदी किनारे डूब क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण तथा उद्योगों के बहिर्स्त्राव को रोकने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय बैठाकर कार्य किया जा रहा है। नदी किनारे डूब क्षेत्र में किसी भी प्रकार की जमीन की बिक्री-खरीद पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया है। नदी में गिरने वाले नालों के मुहानों पर ठोस कचरा नदी में जाने से रोकने हेतु जालियां लगवाई जा रही हैं।

अधीक्षण अभियंता सिंचाई निर्माण खण्ड गाजियाबाद ने जानकारी दी कि गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में नदी डूब क्षेत्र के अन्दर करीब तीन लाख से अधिक आबादी की अवैध बसावट हो चुकी है तथा इसके लिए प्रभावी कार्यवाही करने की आवश्यकता है। डूब क्षेत्र से पहले छोटे तथा उसके बाद बड़े अवैध अतिक्रमण हटाए जाने की आवश्यकता है। दोनों प्रस्तुतीकरण को सुनने के पश्चात डा. प्रभात कुमार द्वारा सिंचाई विभाग को निर्देशित किया गया कि हिण्डन नदी पर गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में जितना अतिक्रमण किया गया है, उसका ठीक प्रकार से आंकलन करके तथा उसकी एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर शीघ्र उपलब्ध कराई जाए जिससे कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही की जा सके।

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उन्होंने अधीक्षण अभियंता ड्रेनेज खण्ड (मेरठ) श्री विशाल सारस्वत से कहा कि वे मेरठ में हिण्डन नदी किनारे सलावा गांव में सिंचाई विभाग की उपलब्ध लगभग 28 हेक्टेयर जमीन पर सघन वृक्षारोपण करके इसको पर्यटन की दृष्टि से विकसित करें। उन्होंने खतौली एस्केप को शीघ्र संचालित कराने की कार्यवाही करने के लिए भी कहा। जब तक खतौली एस्केप पूरी तरह से तैयार नहीं होता है, तब तक नहर से पानी निकालने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। देवबंद के निकट भनेड़ एस्केप से काली नदी पश्चिमी में डाले जाने वाले पानी को यथावत डालते रहने के निर्देश भी उन्होंने दिए। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे अथवा निकट के गांवों में मौजूद पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल से बड़े तालाबों को चिन्हित करके उन तालाबों को भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सुधार मंत्रालय की योजना "रिपेयर, रिन्यूवेशन एवं रिचार्ज” के तहत एक प्रस्ताव बनाया जाए जिसको कि आगे की कार्यवाही के लिए मंत्रालय को शीघ्र भेजा जा सके।

डा. प्रभात कुमार ने प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे स्थानीय मजिस्ट्रेट के सहयोग से हिण्डन/सहायक नदियों में जिन उद्योगों के नाले प्रवाहित हो रहे हैं उनकी एन. ओ0. सी. की जांच कराएं। जो उद्योग मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए तथा जिन नालों में गंदगी भरी हुई है, उनकी सफाई निकट स्थापित उद्योगों से कराई जाए। बैठक के अंत में डा. प्रभात कुमार ने सभी से अपील की कि वे हिण्डन के कार्य को सरकारी दायित्व के साथ-साथ सामाजिक भाव से भी देखें। इसके लिए हर वह प्रयास करें जिससे कि नदी की स्थिति में सुधार हो सके।

ठोस कचरा निस्तारण हेतु नीदरलैण्ड के साथ समझौता

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के पांच मूल मंत्रों में से एक अपशिष्ट प्रबंधन हेतु नीदरलैण्ड सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार के मध्य एक समझौता 25 मई, 2018 को दिल्ली के आईटीसी मौर्य होटल में किया गया। यह समझौता नीरदलैण्ड सरकार के प्रतिनिधियों व उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय विकास योजना सचिव श्री मनोज सिंह के मध्य हुआ। इस अवसर पर जी0.सी. इंटरनेशनल कम्पनी के सी.ई.ओ0. श्री थेरस जीलिंग, ट्रिनिटी की सी.ई.ओ. सुश्री रंजीता दत्त व निजूईस के सी.ई.ओ. श्री मैनो होल्टरमेन, गाजियाबाद की महापौर श्रीमती आशा शर्मा, नगरायुक्त श्री सी.पी.सिंह, डब्ल्यू.आर.जी. 2030 समूह की श्रीमती एनालिंगा तथा निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के समन्वयक श्री धर्मवीर कपिल भी मौजूद रहे।  

कस्बों व शहरों से निकलने वाले ठोस कचरे के समाधन हेतु नीदरलैण्ड के इस दल से पिछले कुछ समय से लगातार वार्ता चल रही थी। दल द्वारा गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर का  भ्रमण करके अपनी वेस्ट टू वैल्थ अवधारणा के अनुरूप शुरूआती योजना भी तैयार कर ली गई थी। इस तकनीक में ठोस कचरे से बिजली बनाई जाएगी, जिससे कि कचरे का समाधान तो होगा ही, साथ ही कस्बों/शहरों को नि:शुल्क बिजली भी मिलेगी।

हिण्डन/सहायक नदियों के किनारे बसे कस्बों व शहरों से निकलने वाले ठोस कचरे के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। कस्बों व शहरों से निकलने वाला ठोस कचरा सीधे या किसी नाले के माध्यम से नदी तक पहुंच जाता है, जोकि नालों अथवा नदी में भरा रहता है। इस कारण से जहां पानी का बहाव अवरूद्ध होता है, वहीं उसमें गंदगी का समावेश भी होता है। गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर में वेस्ट टू वेल्थ की अवधारणा सफल होने के पश्चात् इसको हिण्डन/सहायक नदियों के किनारे के अन्य कस्बों व शहरों में भी लागू किया जाएगा।

अपनी हिंडन भी बन सकती है सदानीरा – रमनकांत त्यागी (हिंडन मित्र)

हमारी नदियां मां हैं फिर भी प्रदूषित है, उनकी नदियां मां नहीं लेकिन फिर भी साफ हैं, ऐसा क्यों...... इस कटु सत्य से हिंडन मित्र एवं नीर फाउंडेशन के निदेशक रमनकांत त्यागी का परिचय 6-10 जून, 2018 को अमेरिका के बफेलो शहर में आयोजित हुई वाटरकीपर एलाइंस कान्फ्रेंस (एक अंतर्राष्ट्रीय नदी सम्मेलन) के दौरान हुआ। इस सम्मेलन में 28 देशों के करीब 500 नदी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। सभी ने अपनी नदियों की स्थिति तथा उनके सुधार के लिए किए गए प्रयासों के संबंध में विस्तार से जानकारियां साझा कीं।

अमेरिका में नदियों को मां नहीं मानते हैं लेकिन फिर भी वे अपनी नदियों को साफ-स्वच्छ बनाए हुए हैं, जबकि हम अपनी नदियों का मां का दर्जा देते हैं फिर भी उनको प्रदूषण की मार से मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया है। अमेरिका में नदियों के हालातों को सुधारने के लिए बहुत से प्रयास किये गये, जिनमें सरकार के साथ साथ जनता का सहयोग भी रहा.

उन्होंने नदियों को सुधारने के लिए जो भी कार्य अपने हाथ में लिया, उसे ईमानदारीपूर्वक पूर्ण किया इसका नजीता हुआ कि उन्होंने अपनी जीवनदायनी नदियों को निर्मल व अविरल बनाए रखा। उनकी नदियां भी कभी भयंकर प्रदूषण का दंश झेल रही थीं, वहां कि सरकारों ने कठोर निर्णय लिए और उनको सभी स्तरों पर पूर्ण ईमानदारी से लागू किया। सीवेज और उद्योगों से निकलने वाले गैर-शोधित तरल कचरे को लेकर कठोर नियम-कायदे बनाए, ये नियम जितने कठोर थे, उनको उतनी की कठोरता से लागू भी किया गया।

प्रारम्भ में कठिनाइयां आईं लेकिन सरकार की अडिगता के साथ समाज भी खड़ा हो गया। उद्योगों को बेहतर तकनीकें उपलब्ध कराई गयी। कानून का उल्लंघन करने पर उचित दंड की भी व्यवस्था की गई। उद्योगों में सेंसर लगाए गए तथा उसके मानक तय किए गए। अगर मानक के अनुरूप उद्योग ने कार्य नहीं किया तो सेंसर के चलते उद्योग का गेट बंद हो गया और उसका गंदा पानी उसी में भरने लगा। उसके पश्चात् उस उद्योग को पूर्णतः बंद कर दिया गया। इसी प्रकार के कुछ अन्य निर्णय भी लिए गए।

अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले कुछ विशेष प्रकार के उद्योगों का उत्पादन ही बंद कर दिया गया। इसी प्रकार के निर्णय शहरों से निकलने वाले सीवेज के लिए गए। आधुनिक तकनीक को कड़ाई से लागू किया गया। सीवेज सिस्टम में विश्वस्तरीय सुधार किये गए। सीवेज को नदियों में मिलने से रोका गया।

अमेरिकन सरकार द्वारा नदियों के रखरखाव के लिए भी व्यवस्थित नियम बनाए। नदियों में कूड़ा-कचरा डालना तो दूर उनमें हाथ डालना, नदी में उतरना, स्नान करना तथा बोटिंग करना जैसे कार्यों को प्रतिबंधित किया और इस प्रतिबंध को वहां के समाज ने माना भी।

मेरीलैण्ड व वर्जीनिया की सीमा को विभाजित करते हुए बहती हुई पोटोमेक नदी वाशिंगटन जैसे बड़े शहर व अमेरिका की राजधानी में पहुंचकर भी साफ-सुथरी ही बहती है। ये कोई चमत्कार से कम नहीं, क्योंकि पोटोमेक नदी सत्तर के दशक में दुनिया की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में शामिल थी। पोटोमेक के पास खड़ा होना भी दूभर था। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने पोटोमेक को निर्मल बना दिया।

इस सम्मेलन में करीब 28 देशों के करीब 500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ये सभी वे लोग थे, जोकि अपने-अपने देशों में नदी सुधार के कार्यों में लगे हैं। देश से बाहर जब भी रमनकांत जी जाते हैं तो उनका प्रयास होता है कि वहां के पानी व पर्यावरण को समझा जाए। वहां की नदियां, जंगल तथा पानी का प्रबंधन देखकर अंदाजा लग जाता है कि वहां की सरकार व समाज अपने प्राकृतिक संसाधनों से कितना लगाव रखते हैं।

वहां प्रवास के दौरान उन्होंने बाफैलो, नियाग्रा, ऐरी कैनाल, हडसन, जैनेसी, पोटोमेक, एनाकोस्टिया व रॉक क्रीक सहित आठ नदियां तथा उनका प्रबंधन देखा। इनमें से किसी भी नदी का पानी आप पी सकते हैं। ये अलग-अलग प्रकार की नदियां हैं। इनमें जैनेसी तथा एनाकोस्टिया वाइल्ड नदियां हैं, जोकि घने जंगल के बीच से आती हैं। नियाग्रा, बाफैलो व ऐरी कैनाल पोर्ट की नदियां हैं, जबकि हडसन न्यूयार्क व पोटोमेक वाशिंगटन जैसे बड़े शहरों के बीच से बहती हैं। कोई भी नदी चाहे शहर के बाहर हो या जंगल में किसी भी नदी में किसी भी प्रकार की गंदगी डालना पूरी तरह से निषेघ है।

हिंडन/सहायक नदियों की सबसे बड़ी समस्या उनका प्रदूषण है. इस प्रदूषण का 90 फीसदी उद्योगों तथा शहरों व कस्बों से निकलने वाला तरल व ठोस कचरा है. इस कचरे का उचित प्रबंधन अथवा उसपर लगाम लगाना सरकारों के हिस्से का कार्य है. यदि सीवेज या औद्योगिक वेस्ट नदी में जाना बंद हो जाये तो नदी की करीब 80% समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जायेंगी. बाकी बची 20% समस्याओं में नदी के बेसिन में अवैध कब्ज़ा, कृषि बहिस्त्राव, पूजा सामग्री व खुले में शौच इत्यादि है. इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार व समाज दोनों के सहयोग की आवश्यकता है.

अगर हम अपनी नदियों को वास्तव में सदानीरा बनाना चाहते हैं तो हमारी सरकारों को कठिन निर्णय लेने होंगे, अधिकारियों को उनको ईमानदारी से लागू करना होगा तथा समाज को भी इसमें पूर्ण समर्पण से सरकारों का सहयोग करना होगा। प्रत्येक कार्य संभव है – हिंडन नदी का सदानीरा बनना भी संभव है बशर्तें सरकार और समाज के कार्यों में ईमानदारी हो.

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गंगा  नदी - कोरोना वायरस को मात देने के लिए गंगा जल में स्थित बैक्टीरियोफेज का उत्तम उपयोग करना होगा और गंगा के प्रवाह को संरक्षित करना होगा

गंगा नदी - कोरोना वायरस को मात देने के लिए गंगा जल में स्थित बैक्टीरियोफेज का उत्तम उपयोग करना होगा और गंगा के प्रवाह को संरक्षित करना होगा

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus ; MMITGM : (134) हे भोलेनाथ! गंगाजल का बैक्टीरियोफेज क्या गोमुख का जैनेटिक कैरक्टर है? और क्या यह को...
गंगा नदी - पर्यावरण प्रेमियों की कड़ी मेहनत से चमका खरकाली गंगा घाट

गंगा नदी - पर्यावरण प्रेमियों की कड़ी मेहनत से चमका खरकाली गंगा घाट

नीर फाउंडेशन और पथिक सेना के नेतृत्व में मेरठ जिले के ऐतिहासिक खरकाली गंगा घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया गया. संयुक्त रूप से चलाये गए इस स्वच...
गंगा नदी - पर्वतरूपी महादेव और प्रकृति रूपी गंगा के तत्व को जानना जरुरी है

गंगा नदी - पर्वतरूपी महादेव और प्रकृति रूपी गंगा के तत्व को जानना जरुरी है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (132) :आकाश के सहस्त्रों तारों से, संतुलित ब्रह्माण्ड के समस्त पिण्डों के कण-कण में न्यूट्र...
गंगा नदी - गांगेय शक्ति संरक्षण के आधार पर होना चाहिए कोरोना वायरस आपदा का समाधान

गंगा नदी - गांगेय शक्ति संरक्षण के आधार पर होना चाहिए कोरोना वायरस आपदा का समाधान

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (131)गुण-कर्म के आधार पर शुद्रता का परिचायक चतुर्थ वर्ण के कोरोना वायरस का उत्थान कर्म के त...
गंगा नदी - धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य को मजबूती देती है

गंगा नदी - धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य को मजबूती देती है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (130) : देवता की पूजा, हृदय चित्रपटल पर देव मूर्ति की फोटोग्राफी से शक्ति-संग्रह करना है...
गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (129) :सब ओर से जैसे भजना को तैसे भजना, समस्त क्रियाओं के तदनुरूप प्रतिक्रियों का होना, पाप...
गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (128 ) :राग, किसी चीज से बेतहाशा लगाव शक्तिक्षय कारक है. भय, शक्ति-तरंगों का एकाएक भीतर प्...
गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (127) :ब्रह्म-शरीर, ब्रह्माड से इसके भीतर के अवस्थित अनन्त शरीरे आपस में जुड़े हुए हैं. हमा...
गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

सदियों से पृथ्वी लोक से लुप्त प्राय: हो रहे पुरातात्विक-योग की पुनर्स्थापना हेतु आया है कोरोना वायरस? हे भोलेनाथ ! मैं हूँ कौन? मेरे साथ हैं...
गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (122) गंगा किनारे के शहरों में कोरोना वायरस के संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा की शक्ति का पटा...
गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (46) : हिमालयन-शिवलिंग के बहु स्वरूपिय जलधारी, भूतलीय बहुमूल्य खनिजों के खजानों में अवस्थ...
गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (44) : हे, पूर्णशांत, आनंदानंद में समस्त ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन को कपकपाते अंतकरण में स्थ...
गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

केन्द्रस्थ : Catching-hold of Nucleus : MMITGM : (43) :आप की पूजा क्यों, भोलेनाथ? क्या आप अन्नदाता, ज्ञानदाता-शक्तिदाता हैं? यदि हैं, तो कैस...
गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

मातृ सदन (हरिद्वार) के गंगा तपस्वी श्री निगमानंद को अस्पताल में ज़हर देकर मारा गया। पर्यावरण इंजीनियर स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद (सन्यास प...
गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (41) ब्रह्म-मुख, पदार्थिय-शक्ति-प्रवाह-मार्ग वातावरण है। यही, ब्रह्म-रूप-धारी पंच-दिशाओं की...
गंगा नदी -  गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा नदी - गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विक...
गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

MMITGM : (41) : ब्रह्म-मुख, पदार्थिय, शक्तिपूर्ण, प्रवाह-मार्ग वातावरण है. यही ब्रह्म-रूपधारी, पंच-दिशाओं की, पंचमहाभूतों की प्रवाह-शक्ति का...
गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

भारत की आधी से अधिक जनसंख्या का पालन पोषण एक मां के समान करती है गंगा. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष..हर देशवासी कहीं न कहीं इसी गंगत्त्व से जु...
गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

MMITGM : (39) हे प्रचंड-आवेगों की विभिन्नता के शक्ति-तरंगों को अपने हृदयस्थ करने वाले हिमालयन-शिवलिंगाकार भोलेनाथ! आपने आकाश-मार्ग, पाताल-मा...
गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

MMITGM : (36)हिमालयन-शिवलिंग के बदलते स्वरूप से, इसकी न्यून होते शक्ति-संतुलन से, तीव्र होता विश्व की आर्थिक सम्पदा विघटन और प्रचंड होती विश...
गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

हिमालय तीन प्रमुख भारतीय नदियों का स्रोत है, यानि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र. लगभग 2,525 किलोमीटर (किमी) तक बहने वाली गंगा भारत की सबसे लंबी...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों, प्रांतों व देशों के लोग, विभिन्न शारीरिक एवं चारित्रिक गुणों के होते हैं, उसी तरह विभिन्न क्षेत्रों एवं देशों की ...
गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (34) हिमालयन शिवलिंग भारत सहित समस्त पृथ्वी के वातावरण और जलवायु के पर्वतीय पावर मोनीटरिंग ...
गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

नेशनल गंगा काउंसिल की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री माननीय मोदी ने कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास किए जा रहें हैं,...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

बरसात के बाद गंगा का जल-स्तर, मिट्टी का आयतन, ऑक्सीजन की मात्रा, ऊर्जा तथा शरीर का आकार घटने लगता है. ऐसी स्थिति में भूमिगत जल जो बरसात में ...
गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

कण-कण में, हर एक एटम में, एलेक्ट्रोन और प्रोटोन के बराबरी रूप से विराजमान न्यूट्रॉन, ब्रह्मांड को आच्छादित करने वाले, भगवान शिव से-हे भोलेना...
गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

MMITGM : (29), पहाड़ शिवलिंग हैं - भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! पहाड़ रूप महान स्थिर और केन्द्रस्थ, आप का शिवलिंग जड़ पाताल में कहाँ है पता नहीं. च...
गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

MMITGM : (27) भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! विश्व भर में पर्वतों के विभिन्न स्वरूपों को धारण करने वाले आप हैं. जैसे मानव शरीर में हृदय रक्त मस्ति...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

मानव युवा-अवस्था में प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु को बहुत हद तक अपने शरीर में व्यवस्थित करने का सामर्थ्य रखता है. उसी तरह गंगा की शक्ति बरसात ...
गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

भगवान शिव से- हे भोलेनाथ! आज भगवान श्रीकृष्ण के कथन, "अच्छेद्योअ्यमदाह्येअ्यमक्लेद्योअ्शोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोअ्यं सनातनः"।। (...
गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

MMITGM: 22 भगवान शिव से - हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं (गीता-2.22) जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करत...
गंगा नदी - आत्मा और परमात्मा के खेल को समझना आवश्यक है : MMITGM : (18 & 19)

गंगा नदी - आत्मा और परमात्मा के खेल को समझना आवश्यक है : MMITGM : (18 & 19)

MMITGM : (18) भगवान शिव से - हे भालेनाथ! आत्मा न तो किसी को मारती है और न ही किसी के द्वारा मारी जाती है.. (भगवान श्रीकृष्णा कहते हैं गीता-2...
गंगा नदी : जानें इग्नोरेंस ऑफ ट्रुथ के सिद्धांत को : MMITGM : (16 and 17)

गंगा नदी : जानें इग्नोरेंस ऑफ ट्रुथ के सिद्धांत को : MMITGM : (16 and 17)

शिवसे-हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण की उक्ति है (गीता-2.17) कि “जो सारे शरीर में व्यापत है, उसे ही तुम अविनाशी जान”, इसका अर्थ नहीं लग रहा है ...
गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : (आंगिक समानता, अध्याय-2 एवं 3)

गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : (आंगिक समानता, अध्याय-2 एवं 3)

गंगा का डेल्टा, मानव-शरीर के पाँव की तरह है. मानव शरीर का पाँव चौड़ा और चिमटा होता है तथा इसमें ढ़ाल बहुत कम होता है. रक्त का संचार यहाँ धीमा ...
गंगा नदी - गंगा और मानव शरीर में जीवंत समरूपता, अध्याय : 2

गंगा नदी - गंगा और मानव शरीर में जीवंत समरूपता, अध्याय : 2

आंगिक समानता गंगा का शरीर मिट्टी की विभिन्न परतों से निर्मित है, जहां एक परत दूसरे से भिन्न है. एक का कार्य एवं क्षमता दूसरे से भिन्न होने प...
गंगा नदी अपडेट - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता

गंगा नदी अपडेट - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता

प्रकृति ने ही गंगा और मानव दोनों की संरचना की है. ये अनन्त आकाश के सूक्ष्म अंशों द्वारा प्रतिष्ठित शरीर के रूप में दृश्यावलोकित होते हैं. ये...
गंगा नदी - दुर्गा माँ की मूर्ति का गंगा-प्रवाह, आदि शक्तिरूपा के हृदयस्थल में रोपण का विसर्जन, भारत की महान धर्म-परायणता क्यों?

गंगा नदी - दुर्गा माँ की मूर्ति का गंगा-प्रवाह, आदि शक्तिरूपा के हृदयस्थल में रोपण का विसर्जन, भारत की महान धर्म-परायणता क्यों?

1. दुर्गा, दुष्टसंहारिणी, की कल्पना मात्र शरीरस्थ समस्त कोशिकाओं को झंकृत करते, जमा साल-भर का दुर्गंध-युक्त मल को निकालते, उन्हें सीधा करते ...

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