The Ganges
  • होम
  • जानें
  • रिसर्च
  • संपर्क

हिण्डन नदी - एक जीवित नदी की दर्दनाक मौत

  • By
  • Rakesh Prasad
  • Swarntabh Kumar
  • August-18-2018

गंगा-यमुना के दोआब में सहारनपुर जनपद से प्रारम्भ होकर मुजफरनगर, शामली, मेरठ, बागपत व गाजियाबाद से होते हुए अंत में जब हिण्डन नदी गौतमबुद्धनगर जनपद के तिलवाड़ा गांव से पश्चिम व मोमनाथल गांव से पूर्व में यमुना में मलीन होती है तो इसमें बहते हुए काले रंग के बदबूदार पानी को देखकर कोई कह नहीं सकता है कि यह एक जीवित नदी है। यही नहीं अगर किसी अन्जान व्यक्ति को इस स्थान पर लाकर पूछा जाए कि यह कौन सी धारा है तो वह शर्तिया ही इसे गंदा नाला कहकर सम्बोधित करेगा। इसके विपरीत जब यह नदी अपने मायके अर्थात उद्गम स्थल सहारनपुर जनपद में शिवालिक की पहाड़ियों के ढलान कालूवाला पास से चलकर नीचे आती है तो यहां के साफ-शुद्ध पानी को देखकर हर कोई जरूर कहेगा कि यह तो अमृत जल है। हिण्डन नदी जब प्रकृति के बीच से साफ-शुद्ध पानी लेकर चलती है तो आखिर कैसे वह पानी इंसानों की बस्तियों से गुजरते ही मैला-कुचैला और बदबूदार हो जाता है? इस स्थिति को देखते हुए यह स्थापित सत्य है कि हिण्डन नदी का गुनहगार कोई और नहीं बल्कि हम स्वयं हैं। 

 

गंगा-यमुना के दोआब में सहारनपुर जनपद से प्रारम्भ होकर मुजफरनगर, शामली, मेरठ, बागपत व गाजियाबाद से हो

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुर का टांडा से निकलने वाली धारा को ही हिण्डन नदी माना जाता रहा है। सेटेलाइट मैपिंग व ब्रिटिश गजेटियर के आधार पर देखें तो हिण्डन का उद्गम मुजफराबाद जनपद में शिवालिक हिल्स बताया जाता है। ब्रिटिश गजेटियर व सेटेलाइट मैपिंग को आधार मानते हुए ही मेरी हिण्डन-मेरी पहल का एक दल मार्च, 2017 में हिण्डन के वास्तिविक उद्गम की खोज के लिए निकला। हिण्डन उद्गम तक पहुंचने के लिए मोहण्ड व शाहजहांपुर वन क्षेत्र से निकलकर नदी के निकट बसे अंतिम गांव कालूवाला टोंगिया तक वाहन पहुंचना संभव है। यहां से हिण्डन नदी के तल में करीब आठ किलोमीटर दूर पैदल चलकर बरसनी फाॅल तक पहुंचा जा सकता है। नदी का यह तल करीब 100 मीटर चैड़ा है। बरसनी फाॅल पर पानी करीब 100 फीट उपर से नीचे लगातार झरने के रूप में गिरता रहता है। इस धारा को बरसनी नदी के नाम से भी जानते हैं। इसमें मिलने वाली अन्य धाराओं में पहाड़ों पर होने वाली बरसात का पानी व पहाड़ों पर लगे वृक्षों की जड़ों से निकलने वाला पानी आता है। यहां नदी के तल के नीचे भी नदी बहती है। क्योंकि यहां बसे वन गूर्जर एक से दो फीट का गड्ढा खोदकर पीने के लिए पानी निकाल लेते हैं। पहाड़ के उपर से निकले वाली यह धारा जहां तक पुर का टांडा वाली धारा में आकर मिलती है वहां तक नदी बहुत चैड़ी है तथा उसमें साफ-शुद्ध पानी भी है। 

हिण्डन नदी सहारनपुर जनपद से प्रारम्भ होकर गौतमबुद्धनगर जनपद में जाकर यमुना में समाहित हो जाती है। काली पश्चिम, कृष्णी, धमोला, पांवधोई, नागदेव, चाचाराव, सपोलिया, अंधाकुन्डी व स्रोती जैसी अन्य छोटी धाराएं मिलकर हिण्डन को नदी बनाती हैं। उद्गम से यमुना में समाहित होने तक हिण्डन की कुल लम्बाई करीब 355 किलोमीटर है। 

 

गंगा-यमुना के दोआब में सहारनपुर जनपद से प्रारम्भ होकर मुजफरनगर, शामली, मेरठ, बागपत व गाजियाबाद से हो

हिण्डन नदी का उद्गम सहारनपुर जनपद के पुर का टांडा गांव को माना जाता रहा है। पुर का टांडा के जंगल से बरसात के समय पानी एकत्र होकर बहने वाला पानी नदी की एक धारा बनाता था। यह धारा सहारनपुर जनपद के ही कमालपुर गांव के जंगल में जाकर कालूवाला की पहाड़ियों से साफ-शद्ध पानी लेकर आने वाली कालूवाला खोल अर्थात हिण्डन में मिल जाती है। इस स्थान पर करीब 90 प्रतिशत पानी कालूवाला खोल की धारा से आता है जबकि करीब 10 प्रतिशत पानी ही पुर का टांडा से निकलने वाली धारा से आता है। 

कालूवाला नदी जोकि हिण्डन नदी है, वह शिवालिक की पहाड़ियों अर्थात कालूवाला पास से प्रारम्भ होती है। यह बरसाती नदी है। इसमें छोटी अन्य सहायक धाराएं भी आकर मिलती हैं। सहारनपुर में उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड की सीमा को बांटने वाली शिवालिक वन मण्डल की पहाड़ियों के दक्षिण की ओर ढलान पर कालूवाला पास व कोठरी मिलान से जो धारा बहकर चलती है उसको बरसनी नदी के नाम से जाना जाता है। बरसनी में कुछ छोटी धाराओं के स्रोत, छज्जेवाली, पीरवाली, सपोलिया, कोठरी व अंधाकुन्डी एक निश्चित दूरी पर आकर मिलते रहते हैं। इस स्थान पर शिविलिक आरक्षित वन मण्डल भी है जिसमें कि मोहण्ड, शाहजहांपुर व शाकुम्भरी वन क्षेत्र आता है। शिवालिक पहाड़ियों की चोटी से उत्तर प्रदेश की ओर ढ़लान से लेकर आरक्षित वन क्षेत्र समाप्त होने तक की दूरी करीब 15 किलोमीटर है। इस 15 किलोमीटर की दूरी में हिण्डन नदी के दोनों ओर पहाड़ व घना जंगल है। इन पहाड़ों पर होने वाली वर्षा का पानी भी हिण्डन की मुख्य धारा में आता है। इसके अतिरिक्त वृक्षों की जड़ों से रिसने वाला पानी भी मुख्य धारा में मिलता रहता है। बरसात के समय इनमें भरपूर पानी आता है, जोकि नीचे तक बहते हुए जाता है। इन सभी धाराओं के मिलने से जो नदी बनती है वही हिण्डन है, जोकि पुर का टांडा गांव से बहने वाली धारा को अपने आप में कमालपुर गांव के निकट मिला लेती है। ऊपरी क्षेत्र में बसे गांव के निवासी व वन गुर्जर हालांकि हिण्डन को वहां कालूवाला खोल, बरसनी व गुलेरिया आदि नामों से भी पुकारते हैं लेकिन वे यह भी बताते हैं कि ये हमारे बोलने के नाम हैं लेकिन यह हिण्डन नदी है। हम अगर गंगा नदी के संबंध में देखें तो भगीरथी व अलकनंदा मिलकर ही गंगा बनाती हैं, इसी प्रकार कालूवाला धारा व पुर का टांडा से निकलने वाली धारा ही हिण्डन बनाती है। 

शिवालिक पहाड़ियों से ही हिण्डन के साथ-साथ हिण्डन की पश्चिम दिशा से एक अन्य धारा निकलती है जिसे नागदेव नदी के नाम से जाना जाता है, यह नागदेव नदी करीब 45 किलोमीटर की दूरी तय करने के पश्चात् सहारनपुर में ही घोघ्रेकी गांव के जंगल में आकर हिण्डन नदी में मिल जाती है। 

हिण्डन की बड़ी सहायक नदियों में काली पश्चिम जोकि हिण्डन नदी की पूर्वी दिशा से सहारनपुर जनपद के ही गंगाली गांव से प्रारम्भ होकर मुजफ्फरनगर से होते हुए करीब 145 किलोमीटर का सफर तय करके मेरठ जनपद के गांव पिठलोकर के जंगल में जाकर हिण्डन नदी में समाहित होती है। काली पश्चिम में चुड़ियाला से प्रारम्भ होने वाली शीला नदी देवबंद के पास मतोली गांव के निकट आकर काली नदी पश्चिम में पहले ही समा चुकी होती है। हिण्डन में मिलने से पहले काली पश्चिम नदी में मुजफ्फरनगर शहर से करीब 25 मिलोमीटर की दूरी पर अपर गंगा नहर खतौली से एक नाले के माध्यम से करीब 1000 क्यूसेक पानी अम्बरपुर गांव के जंगल में डाला जाता रहा है। वर्तमान में यह पानी तकनीकि समस्या के चलते नहीं डाला जा रहा है। इससे पहले सहारनपुर जनपद अपर गंगा नहर के भनेड़ा स्केप से करीब 100 क्यूसेक पानी काली पश्चिम नदी में डालना प्रारम्भ किया है। यह नदी देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में से एक है क्योंकि इसमें मुजफ्फरनगर जनपद के छोटे-बड़े करीब 80 उधोगों का गैर-शोधित तरल कचरा तथा मुजफरनगर शहर का गैर-शोधित घरेलू तरल कचरा सीधे बहता है। हिण्डन व काली पश्चिम के मिलने के स्थान पर काली पश्चिम में करीब 80 प्रतिशत और हिण्डन में मात्र 20 प्रतिशत पानी होता है।      

हिण्डन नदी की पूर्वी दिशा से सहारनपुर जनपद के ही दरारी गांव से निकलने वाली कृष्णी नदी शामली व बागपत जनपदों से होते हुए करीब 153 किलोमीटर का सफर तय करके बागपत जनपद के ही बरनावा कस्बे के जंगल में जाकर हिण्डन नदी में विलीन हो जाती है। यह नदी भी भयंकर प्रदूषण का दंश झेलती है। कृष्णी नदी में ननौता, सिक्का, थानाभवन, चरथावल, शामली व बागपत के उधोगों का गैर-शोधित तरल कचरा तथा गैर-शौधित घरेलू तरल कचरा मिलता है जिसको कि अंत में हिण्डन में उड़ेल दिया जाता है। 

सहारनपुर जनपद में ही हिण्डन की पश्चिमी दिशा से संसारपुर गांव से प्रारम्भ होकर करीब 25 किलोमीटर का सफर करके धमोला नदी सहारनपुर जनपद के ही ऐतिहासिक शरकथाल गांव के जंगल में जाकर हिण्डन में मिलती है। शरकथाल गांव सढ़ौली हरिया गांव का एक मजरा है और यह ऐतिहासिक भी है। धमोला नदी में उसकी एक सहायक नदी पांवधोई सहारनपुर के ही शकलापुरी गांव के निकट से बहती है, यहां ऐतिहासिक महादेव मन्दिर भी स्थित है। यहां से ऊपरी भाग में महरबानी गांव के निकट से आने वाले दो बरसाती नाले खुर्द व गुना कट भी पांवधोई में आकर मिल जाते हैं। शंकलापुरी से करीब 7 किलोमीटर की दूरी तय करके सहारनपुर शहर के अंदर जाकर धमोला नदी में मिल जाती है। पांवधोई के उद्गम में साफ पानी है क्योंकि यह नदी चैये के पानी से बहती है, लेकिन इस साफ पानी में धमोला तक आते-आते सहारनपुर शहर का गैर-शोधित तरल कचरा मिल चुका होता है। धमोला नदी सहारनपुर शहर का तमाम सीवर का पानी तथा पांवधोई द्वारा उसमें डाली गई गंदगी को ढ़ोकर लाती है और उस सब कचरे को हिण्डन नदी में उड़ेल देती है। 

हिण्डन में मिलने वाली उसकी सहायक नदियां या सहायक छोटी धाराएं उसको नदी का रूप देती हैं। इस नदी में प्रदूषण का बड़े स्तर पर प्रारम्भ सीधे तौर पर सहारनपुर जनपद के ही परागपुर गांव के जंगल में स्टार पेपर मिल के गैर-शोधित तरल कचरा लेकर आने वाले नाले के मिलने से हो जाता है। यहां से हिण्डन में गंदगी का प्रवेश होना प्रारम्भ होता है। इससे पहले नागदेव नदी के माध्यम से कुछ छोटे उधोग अपना गैर-शोधित तरल कचरा नौगजा पीर के पास डालते हैं, लेकिन वह तरल कचरा हिण्डन तक बहुत कम मात्रा में आ पाता है। सहारनपुर की पहाड़ियों से जो हिण्डन नदी साफ पानी लेकर चलती है वह सहारनपुर ही उसके पानी को अपनी सीमा से बाहर निकलने से पहले ही जहरीले तत्वों व बदबू से भर देता है। 

सहारनपुर जनपद से आगे यह नदी मुजफ्फरनगर व शामली जनपदों की सीमा में प्रवेश करती है। हिण्डन नदी को सीमा रेखा मानकर ही मुजफ्फरनगर व शामली जनपदों की सीमाएं तय की गई हैं। हिण्डन के पूर्व में मुजफ्फरनगर और पश्चिम में शामली जनपद है। इन दोनों जनपदों में सीधे तौर पर कृषि बहिस्राव व बुढ़ाना कस्बे का तरल व ठोस कचरा भी हिण्डन में मिलता रहता है, लेकिन जैसे ही हिण्डन मेरठ की सीमा में प्रवेश करती है तो मेरठ जनपद में मेरठ-मुजफ्फरनगर सीमा पर बसे गांव पिठलोकर के जंगल में हिण्डन नदी के पूर्व से बहकर आने वाली काली पश्चिम नदी में मिल जाती है। 

मुजफ्फरनगर-शामली की सीमा से आगे बढ़ते हुए हिण्डन नदी मेरठ व बागपत जनपदों में प्रवेश कर जाती है। इन दोनों जनपदों का भी हिण्डन नदी को सीमा रेखा मानकर ही बंटवारा किया गया है। हिण्डन के पूर्व में मेरठ जनपद है जबकि पश्चिम में बागपत जनपद। यहां से हिण्डन करीब दस किलोमीटर आगे बढ़ती है तो हिण्डन के पश्चिम से बहकर आने वाली कृष्णी नदी बरनावा गांव के निकट हिण्डन में मिल जाती है। बरनावा से पहले हिण्डन नदी के पूर्व में स्थित मेरठ जनपद के सरधना कस्बे से आने वाला एक गंदा नाला भी मेरठ जनपद के ही कलीना गांव के जंगल में हिण्डन में मिल चुका होता है। 

यहां से हिण्डन नदी आगे बढ़ती है तो हिण्डन नदी के पूर्व में मेरठ जनपद में अपर गंगा नहर के जानी एस्केप से करीब 1500 क्यूसेक पानी हिण्डन में डाल दिया जाता है। जानी एस्केप की करीब 2000 क्यूसेक पानी डालने की क्षमता है। यह पानी मेरठ-बागपत मार्ग से दो किलोमीटर पहले मौहम्मदपुर धूमी गांव के जंगल में डाला जाता है। यहां से आगे नदी में पानी का बहाव बढ़ जाता है और कुछ साफ भी हो जाता है। यह पानी हिण्डन में इसलिए डाला जाता है जिससे कि मोहननगर से एक नहर के माध्यम से निकालकर यह पानी आगरा नहर में भेजा जा सके। यहां से आगे बढ़ते हुए हिण्डन कुछ अन्य उधोगों, कस्बों व गांवों का गैर-शोधित तरल व ठोस कचरा अपने आप में समाहित करके गाजियाबाद की सीमा में प्रवेश कर जाती है। गाजियाबाद जनपद में हिण्डन की चुनौतियां अधिक बढ़ जाती हैं, यहां जहां शहर का सीवेज व ठोस कचरा तथा उधोगों का तरल कचरा नदी को बद से बदतर स्थिति में ले जाता है वहीं नदी के बेसिन पर किया गया अतिकरमण एक गंभीर समस्या पैदा करता है।  

हिण्डन नदी के पानी को गाजियाबाद के मोहननगर कस्बे में एक बैराज बनाकर रोक दिया जाता है, यहां से नदी के कुल पानी का करीब 30 फीसदी पानी ही आगे जाने दिया जाता है। बचा हुआ पानी हिण्डन के पश्चिम से एक नहर के माध्यम से यमुना नदी में कालंदी कुंज बैराज भेज दिया जाता है। मोहननगर से निकलने वाली यह नहर कालंदीकुंज में यमुना नदी में पूर्व की दिशा से जाकर मिलती है, जितना पानी हिण्डन नहर के माध्यम से यमुना नदी में डाला जाता है, उतना ही पानी कालंदीकुंज में ही यमुना नदी की पश्चिमी दिशा से निकलने वाली आगरा नहर में भेज दिया जाता है। जो पानी मेरठ जनपद में हिण्डन नदी में जानी एस्केप से डाला गया होता है व इस प्रकार से मोहननगर से होते हुए कालंदीकुंज के रास्ते आगरा को जाने वाली नहर तक पहुंचता है। 

मोहननगर बैराज पर भी हिण्डन में गाजियाबाद के सीवर व उधोगों के नाले लगातार मिलते रहते हैं। बैराज से आगे बढ़ते हुए हिण्डन गौतमबुद्धनगर में प्रवेश करती है तो वहां गाजियाबाद से भी विकराल समस्या हिण्डन को झेलनी पड़ती है। यहां पर उधोगों का तरल कचरा, सीवरेज व अतिकरमण जैसी गंभीर समस्याएं हिण्डन की हत्या की साजिश में अंतिम किरदार निभाती हैं। जैसे-तैसे हिण्डन यमुना नदी के निकट तक पहुंचती है। यमुना में मिलने से दो किलोमीटर पहले अपर गंगा नहर से करीब 400 क्यूसेक पानी हिण्डन की पूर्वी दिशा की ओर से हिण्डन नदी में डाल दिया जाता है, लेकिन हिण्डन नदी पर जहरीली गंदगी का बोझ इतना अधिक होता है कि वह उसमें बहुत अधिक असर नहीं डाल पाता है।

हिण्डन व उसकी सहायक नदियों में बहते अत्यधिक प्रदूषित पानी के कारण नदी किनारे बसे गांव-कस्बों का भूजल भी जहरीला हो चुका है। सैंकड़ों गांवों में जल जनित गंभीर बीमारियां पनप रही हैं। सैंकड़ों लोग जनजनित जानलेवा बीमारियों के कारण असमय काल के मुंह में समा चुके हैं। कुछ किसान हिण्डन व उसकी सहायक नदियों में बहने वाले जहरीले पानी से जाने-अनजाने अपनी फसलों की सिंचाई भी करते हैं, जिस कारण से जहां उनके खेतों की कृषि मिट्टी में परसिसटेंट आॅरगेनिक पाल्यूटेंटस जैसे तत्व पाए गए हैं वहीं उस मिट्टी में पैदा हुई सब्जियां व अन्य फसलों में भी कीटनाशकों के तत्व मिले हैं।राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश के पश्चात् हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे गांवों से सैंकड़ों की संख्या में हैण्डपम्प उखाड़े जा चुके हैं। जिन नदियों के किनारे सभ्यताएं बसती थीं वहां भयंकर जल प्रदूषण की त्रासदी के कारण बस्तियां उजड़ने की कगार पर हैं। नदी में प्रदूषण का प्रतिशत इतना है कि नदी के पानी को छूना तो दूर उसके पास खड़ा होना भी दूभर हो चला है। बुजुर्गों के अनुसार जिस नदी के पानी की तली में पड़ा हुआ सिक्का दिखता था उस पानी को हाथ में लेने पर अब हाथ की रेखाएं भी नहीं दिखती हैं। 

अंत में हिण्डन नदी मोमनाथल गांव के पूर्व तथा तिलवाड़ा गांव के पश्चिम के जंगल में सहारनपुर की शिवालिक से चलने वाली जीवित हिण्डन गुमसुम रहकर यमुना नदी में समाहित हो जाती है। एक जीवित नदी का दुखदः अंत देखकर यमुना भी नम आंखों से हिण्डन का स्वागत करती है और दोनों नदियां एक होकर आगे बढ़ जाती हैं। 

हिण्डन व उसकी सहायक नदियों का विवरण

हिण्डन नदी, उदगम स्थल - शिवालिक की पहाड़ियां, (कालूवाला पास) जनपद -सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-  गांव- तिलवाड़ा/मोमनाथल गांव, जनपद-गौतमबुद्धनगर (उत्तर प्रदेश), लम्बाई- 355

कृष्णी नदी, उदगम स्थल - दरारी गांव, सहारनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-   गांव -बरनावा, जनपद-बागपत (उत्तर प्रदेश), लम्बाई- 153

काली नदी (पश्चिम), उदगम स्थल - गंगाली गांव, जनपद-सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-   गांव-अटाली/पिठलोकर गांव जनपद-मेरठ (उत्तर प्रदेश), लम्बाई- 145

शीला नदी, उदगम स्थल - कस्बा-भगवानपुर, जनपद-हरिद्धार (उत्तराखण्ड), विलीन स्थल-  गांव-मतौली, जनपद-सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), लम्बाई-61

धमोला नदी, उदगम स्थल - संसारपुर गांव, सहारनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-  शरकथाल/सढ़ौली हरिया गांव, जनपद-सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), लम्बाई-52

पांवधोई नदी, उदगम स्थल - गांव-शंकलापुरी, जनपद-सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-  सहारनपुर शहर, सहारनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश), लम्बाई- 7

नागदेव नदी, उदगम स्थल - कोठारी गांव, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-   घोंघ्रेकी गांव, सहारनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश), लम्बाई- 45

चाचा रौ, उदगम स्थल - गांव, सहारनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश), विलीन स्थल-  कमालपुर गांव, सहारनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश), लम्बाई-18

रमन कान्त

निदेशक 

नीर फाउंडेशन, सदस्य, निर्मल हिण्डन

Ad

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

Related Tags

hindon river(17) nirmal hindon(15) Hindon Nadi(18)

More

गंगा नदी अपडेट - ग्लेशियर पर बढ़ते दबाव से कांपती है धरती, दरकते हैं पहाड़ और नदियों का वेग होता है एकाएक तीव्र

गंगा नदी अपडेट - ग्लेशियर पर बढ़ते दबाव से कांपती है धरती, दरकते हैं पहाड़ और नदियों का वेग होता है एकाएक तीव्र

हिमालय पर्वत, जिसे लूज रॉक की संज्ञा भी दी जा सकती है, एक ऊंची ढाल का सेडिमेंट्री पहाड़ है। यानि ग्लेशियर पर बढ़ता दबाव हिमालयी क्षेत्र में छो...
गंगा नदी - वैश्विक प्रकृति और गंगा नदी के अत्याधिक दोहन का परिणाम है कोरोना वायरस

गंगा नदी - वैश्विक प्रकृति और गंगा नदी के अत्याधिक दोहन का परिणाम है कोरोना वायरस

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (137) : कर्म-अकर्म, क्रिया का प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया का क्रिया को बराबर समझना ज्ञान औ...
गंगा नदी – गंगा के बैक्टेरियोफेज की कर्मशक्ति को नहीं समझ पाना कोरोना जैसी आपदाओं का द्योतक है

गंगा नदी – गंगा के बैक्टेरियोफेज की कर्मशक्ति को नहीं समझ पाना कोरोना जैसी आपदाओं का द्योतक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (136) : कर्म, अकर्म और विकर्म गीता की मानवीय ज्ञान-शक्ति के संबंध का विश्लेषण है. यही गंग...
गंगा नदी : गंगा के बालू क्षेत्र का तकनीकी तौर पर एसटीपी के रूप में प्रयोग गंगा जल का संरक्षण करेगा

गंगा नदी : गंगा के बालू क्षेत्र का तकनीकी तौर पर एसटीपी के रूप में प्रयोग गंगा जल का संरक्षण करेगा

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (135): गंगा नदी के बालूक्षेत्र का तकनीकी उपयोग कोरोना वायरस से दूरी रखने का देश/विश्व स्त...
गंगा नदी के बालूक्षेत्र को एसटीपी के रूप में उपयोग करने और गंगाजल को संरक्षित करने को लेकर भारत सरकार को पत्र

गंगा नदी के बालूक्षेत्र को एसटीपी के रूप में उपयोग करने और गंगाजल को संरक्षित करने को लेकर भारत सरकार को पत्र

प्रधानमंत्री, भारत सरकार को पत्र : गंगा/नदी का बालूक्षेत्र वाराणसी सहित देश भर के कोरोना वायरस का सेनिटाइजर है. कृपया, देश रक्षार्थ इस...
Lock down & improvement in River water Quality - Only a temporary reprieve

Lock down & improvement in River water Quality - Only a temporary reprieve

Blog Source - Waterkeeper allianceMany people living close to the riverbanks in the Ganga Basin, including the Gomti River, believe that the...
गंगा नदी - औषधीय गुणों से भरपूर गंगाजल करेगा प्राकृतिक सैनिटाइजर का काम

गंगा नदी - औषधीय गुणों से भरपूर गंगाजल करेगा प्राकृतिक सैनिटाइजर का काम

विश्व भर में कोरोना वायरस ने करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया हुआ है, लाखों इसके चलते दम तोड़ चुके हैं. भारत में भी कोरोना पीड़ितों की संख्य...
गंगा  नदी - कोरोना वायरस को मात देने के लिए गंगा जल में स्थित बैक्टीरियोफेज का उत्तम उपयोग करना होगा और गंगा के प्रवाह को संरक्षित करना होगा

गंगा नदी - कोरोना वायरस को मात देने के लिए गंगा जल में स्थित बैक्टीरियोफेज का उत्तम उपयोग करना होगा और गंगा के प्रवाह को संरक्षित करना होगा

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus ; MMITGM : (134) हे भोलेनाथ! गंगाजल का बैक्टीरियोफेज क्या गोमुख का जैनेटिक कैरक्टर है? और क्या यह को...
गंगा नदी - पर्यावरण प्रेमियों की कड़ी मेहनत से चमका खरकाली गंगा घाट

गंगा नदी - पर्यावरण प्रेमियों की कड़ी मेहनत से चमका खरकाली गंगा घाट

नीर फाउंडेशन और पथिक सेना के नेतृत्व में मेरठ जिले के ऐतिहासिक खरकाली गंगा घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया गया. संयुक्त रूप से चलाये गए इस स्वच...
गंगा नदी - पर्वतरूपी महादेव और प्रकृति रूपी गंगा के तत्व को जानना जरुरी है

गंगा नदी - पर्वतरूपी महादेव और प्रकृति रूपी गंगा के तत्व को जानना जरुरी है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (132) :आकाश के सहस्त्रों तारों से, संतुलित ब्रह्माण्ड के समस्त पिण्डों के कण-कण में न्यूट्र...
गंगा नदी - गांगेय शक्ति संरक्षण के आधार पर होना चाहिए कोरोना वायरस आपदा का समाधान

गंगा नदी - गांगेय शक्ति संरक्षण के आधार पर होना चाहिए कोरोना वायरस आपदा का समाधान

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (131)गुण-कर्म के आधार पर शुद्रता का परिचायक चतुर्थ वर्ण के कोरोना वायरस का उत्थान कर्म के त...
गंगा नदी - धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य को मजबूती देती है

गंगा नदी - धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य को मजबूती देती है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (130) : देवता की पूजा, हृदय चित्रपटल पर देव मूर्ति की फोटोग्राफी से शक्ति-संग्रह करना है...
गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (129) :सब ओर से जैसे भजना को तैसे भजना, समस्त क्रियाओं के तदनुरूप प्रतिक्रियों का होना, पाप...
गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (128 ) :राग, किसी चीज से बेतहाशा लगाव शक्तिक्षय कारक है. भय, शक्ति-तरंगों का एकाएक भीतर प्...
गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (127) :ब्रह्म-शरीर, ब्रह्माड से इसके भीतर के अवस्थित अनन्त शरीरे आपस में जुड़े हुए हैं. हमा...
गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

सदियों से पृथ्वी लोक से लुप्त प्राय: हो रहे पुरातात्विक-योग की पुनर्स्थापना हेतु आया है कोरोना वायरस? हे भोलेनाथ ! मैं हूँ कौन? मेरे साथ हैं...
गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (122) गंगा किनारे के शहरों में कोरोना वायरस के संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा की शक्ति का पटा...
गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (46) : हिमालयन-शिवलिंग के बहु स्वरूपिय जलधारी, भूतलीय बहुमूल्य खनिजों के खजानों में अवस्थ...
गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (44) : हे, पूर्णशांत, आनंदानंद में समस्त ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन को कपकपाते अंतकरण में स्थ...
गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

केन्द्रस्थ : Catching-hold of Nucleus : MMITGM : (43) :आप की पूजा क्यों, भोलेनाथ? क्या आप अन्नदाता, ज्ञानदाता-शक्तिदाता हैं? यदि हैं, तो कैस...
गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

मातृ सदन (हरिद्वार) के गंगा तपस्वी श्री निगमानंद को अस्पताल में ज़हर देकर मारा गया। पर्यावरण इंजीनियर स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद (सन्यास प...
गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (41) ब्रह्म-मुख, पदार्थिय-शक्ति-प्रवाह-मार्ग वातावरण है। यही, ब्रह्म-रूप-धारी पंच-दिशाओं की...
गंगा नदी -  गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा नदी - गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विक...
गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

MMITGM : (41) : ब्रह्म-मुख, पदार्थिय, शक्तिपूर्ण, प्रवाह-मार्ग वातावरण है. यही ब्रह्म-रूपधारी, पंच-दिशाओं की, पंचमहाभूतों की प्रवाह-शक्ति का...
गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

भारत की आधी से अधिक जनसंख्या का पालन पोषण एक मां के समान करती है गंगा. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष..हर देशवासी कहीं न कहीं इसी गंगत्त्व से जु...
गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

MMITGM : (39) हे प्रचंड-आवेगों की विभिन्नता के शक्ति-तरंगों को अपने हृदयस्थ करने वाले हिमालयन-शिवलिंगाकार भोलेनाथ! आपने आकाश-मार्ग, पाताल-मा...
गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

MMITGM : (36)हिमालयन-शिवलिंग के बदलते स्वरूप से, इसकी न्यून होते शक्ति-संतुलन से, तीव्र होता विश्व की आर्थिक सम्पदा विघटन और प्रचंड होती विश...
गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

हिमालय तीन प्रमुख भारतीय नदियों का स्रोत है, यानि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र. लगभग 2,525 किलोमीटर (किमी) तक बहने वाली गंगा भारत की सबसे लंबी...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों, प्रांतों व देशों के लोग, विभिन्न शारीरिक एवं चारित्रिक गुणों के होते हैं, उसी तरह विभिन्न क्षेत्रों एवं देशों की ...
गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (34) हिमालयन शिवलिंग भारत सहित समस्त पृथ्वी के वातावरण और जलवायु के पर्वतीय पावर मोनीटरिंग ...
गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

नेशनल गंगा काउंसिल की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री माननीय मोदी ने कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास किए जा रहें हैं,...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

बरसात के बाद गंगा का जल-स्तर, मिट्टी का आयतन, ऑक्सीजन की मात्रा, ऊर्जा तथा शरीर का आकार घटने लगता है. ऐसी स्थिति में भूमिगत जल जो बरसात में ...
गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

कण-कण में, हर एक एटम में, एलेक्ट्रोन और प्रोटोन के बराबरी रूप से विराजमान न्यूट्रॉन, ब्रह्मांड को आच्छादित करने वाले, भगवान शिव से-हे भोलेना...
गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

MMITGM : (29), पहाड़ शिवलिंग हैं - भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! पहाड़ रूप महान स्थिर और केन्द्रस्थ, आप का शिवलिंग जड़ पाताल में कहाँ है पता नहीं. च...
गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

MMITGM : (27) भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! विश्व भर में पर्वतों के विभिन्न स्वरूपों को धारण करने वाले आप हैं. जैसे मानव शरीर में हृदय रक्त मस्ति...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

मानव युवा-अवस्था में प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु को बहुत हद तक अपने शरीर में व्यवस्थित करने का सामर्थ्य रखता है. उसी तरह गंगा की शक्ति बरसात ...
गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

भगवान शिव से- हे भोलेनाथ! आज भगवान श्रीकृष्ण के कथन, "अच्छेद्योअ्यमदाह्येअ्यमक्लेद्योअ्शोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोअ्यं सनातनः"।। (...
गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

MMITGM: 22 भगवान शिव से - हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं (गीता-2.22) जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करत...
गंगा नदी - आत्मा और परमात्मा के खेल को समझना आवश्यक है : MMITGM : (18 & 19)

गंगा नदी - आत्मा और परमात्मा के खेल को समझना आवश्यक है : MMITGM : (18 & 19)

MMITGM : (18) भगवान शिव से - हे भालेनाथ! आत्मा न तो किसी को मारती है और न ही किसी के द्वारा मारी जाती है.. (भगवान श्रीकृष्णा कहते हैं गीता-2...
गंगा नदी : जानें इग्नोरेंस ऑफ ट्रुथ के सिद्धांत को : MMITGM : (16 and 17)

गंगा नदी : जानें इग्नोरेंस ऑफ ट्रुथ के सिद्धांत को : MMITGM : (16 and 17)

शिवसे-हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण की उक्ति है (गीता-2.17) कि “जो सारे शरीर में व्यापत है, उसे ही तुम अविनाशी जान”, इसका अर्थ नहीं लग रहा है ...
गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : (आंगिक समानता, अध्याय-2 एवं 3)

गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : (आंगिक समानता, अध्याय-2 एवं 3)

गंगा का डेल्टा, मानव-शरीर के पाँव की तरह है. मानव शरीर का पाँव चौड़ा और चिमटा होता है तथा इसमें ढ़ाल बहुत कम होता है. रक्त का संचार यहाँ धीमा ...
गंगा नदी - गंगा और मानव शरीर में जीवंत समरूपता, अध्याय : 2

गंगा नदी - गंगा और मानव शरीर में जीवंत समरूपता, अध्याय : 2

आंगिक समानता गंगा का शरीर मिट्टी की विभिन्न परतों से निर्मित है, जहां एक परत दूसरे से भिन्न है. एक का कार्य एवं क्षमता दूसरे से भिन्न होने प...
गंगा नदी अपडेट - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता

गंगा नदी अपडेट - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता

प्रकृति ने ही गंगा और मानव दोनों की संरचना की है. ये अनन्त आकाश के सूक्ष्म अंशों द्वारा प्रतिष्ठित शरीर के रूप में दृश्यावलोकित होते हैं. ये...
गंगा नदी - दुर्गा माँ की मूर्ति का गंगा-प्रवाह, आदि शक्तिरूपा के हृदयस्थल में रोपण का विसर्जन, भारत की महान धर्म-परायणता क्यों?

गंगा नदी - दुर्गा माँ की मूर्ति का गंगा-प्रवाह, आदि शक्तिरूपा के हृदयस्थल में रोपण का विसर्जन, भारत की महान धर्म-परायणता क्यों?

1. दुर्गा, दुष्टसंहारिणी, की कल्पना मात्र शरीरस्थ समस्त कोशिकाओं को झंकृत करते, जमा साल-भर का दुर्गंध-युक्त मल को निकालते, उन्हें सीधा करते ...
गंगा नदी - गंगा में गंदगी से नाराज़ एनजीटी, बिहार सरकार पर लगाया 25 लाख का जुर्माना

गंगा नदी - गंगा में गंदगी से नाराज़ एनजीटी, बिहार सरकार पर लगाया 25 लाख का जुर्माना

‘नमामि गंगे’ और ‘स्वच्छ गंगा मिशन’ जैसे तमाम अभियान बिहार के धरातल पर आते- आते धराशायी हो जाते हैं. नतीज़ा वही गंदगी और प्रदूषण, जिसे गंगा न...

गंगा नदी से जुड़ी समग्र नवीनतम जानकारियां

©पानी की कहानी Creative Commons License
All the Content is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Terms | Privacy