गंगा नदी, भारत की जीवनरेखा मानी जाती है और धार्मिक, सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी यह भारतीय समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण और असामान्य मानवीय हस्तक्षेपों के कारण गंगा के जल की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। हाल ही में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा के पानी को आचमन योग्य नहीं बताया है, जिससे यह साफ़ हो गया है कि गंगा की स्थिति चिंताजनक है। इस संदर्भ में, उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा नदी के जल को स्वच्छ बनाने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है। राज्य सरकार ने गंगा सफाई के लिए ‘जिला गंगा प्लान’ तैयार करने का ऐलान किया है, जो प्रदेश के 30 जिलों में लागू किया जाएगा।
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन का अहम कदम
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन कार्यालय ने अपने आदेश में सभी संबंधित जिलों को निर्देशित किया है कि वे गंगा नदी की सफाई के लिए सटीक और समग्र योजना तैयार करें। इन योजनाओं में प्रदूषण नियंत्रण, जल गुणवत्ता सुधार, नदी के जल प्रवाह को सतत बनाए रखने और नदी के इकोसिस्टम को संरक्षित करने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा। इस प्लान के तहत जिलों में गंगा समिति के पदाधिकारियों को पहले विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे अपने क्षेत्रों में प्रभावी रूप से काम कर सकें। इन प्रयासों का उद्देश्य गंगा के जल को स्वच्छ करना और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना है।
इसके साथ ही, गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना भी इस अभियान का एक प्रमुख लक्ष्य है। अब यह जरूरी हो गया है कि हम गंगा नदी के जल को जीवनदायिनी के रूप में बचाए रखें, ताकि भविष्य में इसके जल से करोड़ों लोगों का जीवन प्रभावित न हो। गंगा नदी का प्रदूषण केवल जल स्रोतों को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसके किनारे बसे लाखों लोग, वन्यजीव, मछलियां और अन्य जैव विविधताएँ भी इससे प्रभावित होती हैं।
इंडो-जर्मन द्विपक्षीय समझौता और WWF की भूमिका
इस सफाई अभियान को प्रभावी बनाने के लिए इंडो-जर्मन द्विपक्षीय समझौते के तहत जीआइजेड संस्था और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइडलाइफ फंड) का सहयोग लिया जा रहा है। खासकर, बरेली और मुरादाबाद जिलों के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने जिला गंगा प्लान तैयार किया है, जिन्हें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा अनुमोदित किया गया है। इन योजनाओं में प्रदूषण नियंत्रण और नदी की सफाई के लिए ठोस उपायों की रूपरेखा तैयार की गई है। यह प्रयास गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।
प्रदेश के 30 जिलों में लागू होगा जिला गंगा प्लान
गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए, प्रदेश के 30 जिलों में जिला गंगा प्लान बनाने का कार्य शुरू किया गया है। इस योजना के तहत, गंगा नदी के पानी में जल गुणवत्ता सुधार, प्रदूषण निवारण, जल प्रवाह की निरंतरता बनाए रखने, और नदी के इकोसिस्टम को संरक्षित करने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा। गंगा नदी में पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, जल स्तर को सुसंगत बनाए रखने के लिए और जलचरों, मछलियों व अन्य प्रजातियों की सुरक्षा के लिए यह योजना बेहद जरूरी है।
गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
गंगा नदी के किनारे बसे लोग और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था इस नदी पर निर्भर हैं, इसलिए गंगा की सफाई से न केवल जल जीवन को पुनर्जीवित किया जा सकता है, बल्कि इससे पर्यावरणीय संतुलन भी स्थापित हो सकता है। सरकार का यह कदम प्रदूषण नियंत्रण में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। जिला गंगा प्लान के तहत जिलों में प्रदूषण नियंत्रण, जल प्रवाह और जल संरक्षण के उपायों पर कार्य किया जाएगा, ताकि गंगा के पानी में सुधार हो सके और भविष्य में यह नदी फिर से अपनी पवित्रता और जीवनदायिनी क्षमता को प्राप्त कर सके।
नदी संरक्षण में जन जागरूकता की अहमियत
गंगा नदी की सफाई के साथ-साथ जन जागरूकता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रदूषण के कारण गंगा के जल का स्तर तेजी से घट रहा है, और यह मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। इस प्रकार, समाज के सभी वर्गों को गंगा नदी के महत्व के बारे में जागरूक करना और इसके संरक्षण में योगदान देना चाहिए। सरकार की योजनाओं के साथ-साथ लोगों का सक्रिय सहयोग जरूरी है ताकि गंगा को फिर से उसकी पुरानी स्थिति में लाया जा सके।
इस प्रकार, गंगा सफाई अभियान के लिए राज्य सरकार की पहल बेहद सराहनीय है, और यदि यह योजना सही दिशा में लागू होती है तो गंगा फिर से अपनी खोई हुई पवित्रता को प्राप्त कर सकती है, जो न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक सुखद बदलाव होगा।