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प्रकृतिस्थ होना ब्रह्मस्थ होना है
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – प्रकृतिस्थ होना ही ब्रह्मस्थ होना है : अध्याय 15, श्लोक 5 (गीता:5).
Nov. 13, 2018, 5:29 p.m.
निर्माणमोहा जितसंगदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृतकामाः । द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंगैर्गच्छन्त्यमूढ़ाः पदमव्ययं तत् ।। गीता : 15.5श्लोक का हि...
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