The Ganges
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मैला ढोने वाली खच्चर गाड़ी में बदल गयी है देश की धरोहर गंगा माई – वाटरमैन ऑफ इंडिया

  • By
  • Deepika Chaudhary
  • May-17-2019
“देश की राजनैतिक राजधानी (दिल्ली) का दम प्रदूषण के धुएं से घुट रहा है. आर्थिक राजधानी (मुंबई) की जीवनदायिनी नदियां नाले की शक्ल इख़्तियार कर चुकी हैं, भारत की अमूल्य धरोहर गंगा ज्ञान की राजधानी काशी में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. हम भले ही गंगा को कहते माई हैं, परन्तु उसी माई को हमने मैला ढोने वाली खच्चर गाड़ी में बदल दिया है.”

देश के वाटरमैन कहे जाने वाले राजेंद्र सिंह ने हाल ही में सरकार की बहुचर्चित “नमामि गंगे परियोजना” को मात्र दिखावा बताते हुए अपने विचार जनता के सामने रखे. जिसके अंतर्गत उन्होंने स्पष्ट तौर पर बताया कि नमामि गंगे परियोजना मात्र गंगा के आस पास सौन्दर्यकरण करने तक सीमित रह गयी, इसके अंतर्गत नदी से विषैले तत्त्व निकलकर उसे निर्मल व स्वच्छ बनाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया. जिसके चलते आज गंगा पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गयी है.

भारत की जीवनरेखा गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने की जद्दोजहद पिछले कईं दशकों से जारी है, वर्तमान सरकार ने वर्ष 2015 से नमामि गंगे की मुहिम छेड़ते हुए करोड़ों का बजट गंगा अविरलता के लिए सुनिश्चित किया था, जो तमाम सरकारी दावों के बीच भी अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई. यहाँ तक कि मुख्यमंत्री नितिन गड़करी ने दावा किया था कि मार्च 2019 तक गंगा 70-80 फीसदी साफ़ हो जाएगी और बाकी का कार्य 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा. परन्तु गंगा प्रदूषण पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि गंगा का स्वच्छ होना कागजी कार्यवाही और बड़े बोलों से अधिक कुछ भी नहीं है.  

गौरतलब है कि राजेंद्र सिंह जी देश के जाने माने पर्यावरणविद एवं जल संरक्षणकर्ता हैं, जो विशेष रूप से भारत में नदियों की अविरलता और स्वच्छता की मुहिम छेड़े हुए हैं. उन्होंने हाल ही में गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जनता के सम्मुख अपनी बात रखी और जनअपील करते हुए ऐसे प्रतिनिधियों को चुनने की सलाह दी, जो पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर कार्य कर सकें. साथ ही उन्होंने गंगा से जुड़े बहुत से मुद्दों पर अपने विचार भी प्रकट किये.

केवल छलावा है नमामि गंगे परियोजना 

राजेंद्र सिंह के अनुसार आज गंगा स्वच्छता के नाम पर परियोजनाएं बनाते हुए राजनेताओं द्वारा केवल अपनी जेबें भरी जा रही हैं. जबकि प्रदूषण सम्बन्धी तमाम रिपोर्टस यह साबित करती हैं कि आज गंगा पहले से भी अधिक प्रदूषित हो चुकी है. परियोजनाओं के नाम पर केवल गंगा किनारों की सुंदरता बढ़ाई गयी, जबकि निरंतर नाले में तब्दील हो रही नदी की स्वच्छता को लेकर कोई भी ठोस रणनीति नहीं बनाई गयी हैं.

भयंकर सूखे की चपेट में हैं देश के 350 से अधिक जिले

जलवायु संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किये जाने के अभाव में आज देश के तकरीबन 16 राज्यों के अंतर्गत 350 से अधिक जिले भयंकर सूखे की चपेट में हैं. राजेंद्र सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों में अनगिनत ऐसे जिले हैं, जहां लोग बूंद बूंद को तरस रहे हैं. साथ ही देश में 90 प्रतिशत से अधिक छोटी नदियां सूख चुकी हैं, जिससे कईं इलाके सूखे की विभीषिका झेल रहे हैं.

पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है सरकार

राजेंद्र सिंह जी ने अपने वक्तव्यों में कहा कि आज तमाम राजनीतिक दलों का ध्यान केवल देश की सत्ता पर है. आप स्वयं देखें किसी भी राजनैतिक दल का घोषणा पत्र पानी, पर्यावरण या जलवायु परिवर्तन के संकट पर कुछ भी नहीं बोलता है. वे केवल वोट जुटाने की तिकड़म लगाते रहते हैं, जिसके चलते वोट देने वाले भी भ्रमित हैं. आज देश में ‘सत्यमेव जयते’ को ‘झूठमेव जयते’ में बदल दिया गया है.  

जनता को जागना होगा

चुनावों में अपने वोट की कीमत पहचानने की अपील आम जनता से करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि, अभी भी समय है जब हमें ऐसे लोगों को चुनना होगा, जिनका जीवन साझा है. आज के राजनीतिज्ञ स्वार्थ के चलते अतिक्रमण, प्रदूषण और प्रकृति का दोहन करने वालों को निरंतर विकास करने का अवसर दे रहे हैं और उसी रफ़्तार से प्रदूषण भी हमारे शहरों में फैल रहा है. अब वास्तव में जनता को अपने वोट का मूल्य जानना होगा, साथ ही देश में व्यर्थ के दलों का बनना बंद होकर जलवायु व पर्यावरण के मुद्दों पर कार्य करने वालों को चुनना होगा. 

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