हिमालय पर्वत, जिसे लूज रॉक की संज्ञा भी दी जा सकती है, एक ऊंची ढाल का सेडिमेंट्री पहाड़ है। यानि ग्लेशियर पर बढ़ता दबाव हिमालयी क्षेत्र में छोटे छोटे भूकंपों का कारण तो बनता ही है बल्कि इससे पहाड़ टूटते हैं, जिससे पहाड़ी नदियों के जलस्तर में अचानक ही तीव्रता आ जाती है।
नदी के जल में मृदाभार बढ़ने से नदी अपने तल से काफी ऊंचाई पर बहने लगती है। इसके चलते जो भी बड़े जलाशय बनते हैं, उनमें तेजी से गाद जमती है और उनकी जीवन अवधि बेहद कम होती है। हिमालय क्षेत्र में बने बड़े बड़े बांधों के कारण उनसे जो जल प्रवाहित होता है उसमें अत्याधिक मात्रा बेहद अधिक होती है। इसी के चलते दुनिया में बढ़ती गाद वली नदी के मामले में गंगा नदी दूसरे स्थान पर आ गई है और यह समस्या आने वाले दिनों में एक खतरा बनकर उभर सकती है।
भारत ने चाइना के टीजीपी डैम (175 मीटर) की नकल करके तमाम पर्यावरण व नदी विशेषज्ञों की सलाह को दरकिनार करते हुए टिहरी बांध (206.5 मीटर) बांध बना तो लिया है लेकिन बिजली उत्पादन की बात करे तो हम चाइना से काफी पीछे रह गए हैं। जिसका कारण स्पष्ट है कि चाइना में बना डैम हार्ड रॉक पर निर्मित है, जिसके चलते उनकी बिजली उत्पादन क्षमता 18 हजार मेगावाट है और टिहरी के लूज रॉक पर बनने के चलते हम 1500 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं।
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