केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (131)
गुण-कर्म के आधार पर शुद्रता का परिचायक चतुर्थ वर्ण के कोरोना वायरस का उत्थान कर्म के तहत हुए लॉकडाउन के उपरान्त शराबखानों को नहीं बल्कि प्रथम मंदिर-कार्य का पटापेक्षण प्रतिबंधित नियमावली के साथ आरंभ किया जाना चाहिए.
हे भोलेनाथ ! आपका गुण-कर्म-विभाग क्या है? क्या आत्मा का कंपन नापने का यह ई.सी.जी विभाग है? सर्टिफिकेट यहीं से मिलता है कि उसे कहाँ जाना है. शरीर छोड़कर जाते हुए आत्मा का तारंगिक रूप क्या उसके द्वारा किये कर्मों का परिणाम है? मानव को उसकी धड़कन-सीमाओं के आधार पर आपने चार भागों में बाँट दिया. यह किस आधार पर किया. इसके लिये क्या आपने मानव के कितने ही जन्मों के कर्म-धड़कन का आँकड़ा लिया होगा? धड़कन का आँकड़ा क्या शक्ति निर्देशन सूचकांक है? प्रथम सूचकांक की न्यूनतम-सीमा के अन्दर के लोगों के समरूप कार्य-गुण होंगें. ये शांत-स्वभाव वाले शक्ति-संरक्षण पर विशेष ध्यानमग्नता का निर्वहन करने वाले होंगें. दूसरे, पहले से ऊपर के धड़कन-सूचकांक वाले पहले से ज्यादा शक्तिक्षय करने वाले ज्यादा चंचलता के कर्म करने वाले होंगें. इसी तरह आपने दो और ऊंची धड़कन-सूचकांक वालों के कर्म-गुण को परिभाषित कर दिया होगा. यह निर्धारण करने से मृत्यु के उपरांत पूर्व कर्म के तहत कौन कहाँ जायेगा यह आपने निर्धारित कर दिया. इस के उपरांत आप निर्लिप्त हो गये, यह इसलिये कि जैसा नये शरीर में करोगे वैसा ही भोगोगे. यही है ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र इन चार वर्णों का समूह, गुण और कर्म विभाग का आपके द्वारा रचा जाना. इसे ही भगवान श्रीकृष्ण कह रहे हैं.
चातुर्वर्ण्य मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः । तस्य कर्तारमपि मां विद्भधकर्तारमव्ययम् ।। गीता : 4.13 ।।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों का समूह, गुण और कर्म के विभागपूर्वक मेरे द्वारा रचा गया है. इस प्रकार उस सृष्टि रचनादि कर्म का कर्ता होने पर भी मुझ अविनाशी परमेश्वर को तुम वास्तव में अकर्ता ही जान.
हे भोलेनाथ ! रचना करके आप यदि निर्लिप्त हो गये तो संसार की उथल-पुथल क्या आपके बिना आदेश के हो रही है. पारिस्थितिकी तो आप ही बदले. इसी से तो बुद्धि भ्रमित होती है. क्या मनुष्य को आपने कुछ स्वतंत्रता दे रखी है? क्या यह अनुभव कर सोचने की स्वतंत्रता, विवेक है? यही है अन्य जीवों से मनुष्य में भिन्नता. यही है पदार्थ और शक्ति, Matter और Energy, अशांति एवं शांति के संबंध को मानव द्वारा समझा जाना. कहिये, भोलेनाथ ! आज के इस महाकलिकाल के महान संत रैदास आप के चार वर्णों में से किस वर्ण में जन्में और पले और वे किस वर्ण में पहुंच कर यह सत्यापित कर दिया कि, कठौती में गंगा है. हे भोलेनाथ ! गंगा के अभी की पापधारिणी-शक्ति के संरक्षण की तकनीक का परिचय कर्मयोग पथ पर चलने वाले देश के प्रधान नेतृत्व को यह अवसर प्रदान कीजिये, जिससे वे कोरोना वायरस जैसी आपदाओं से देश को गंगा के शक्ति-संरक्षण के माध्यम से बचा पायें.