गंगा की एलुवियल मिट्टी के नदोत्तर किनारों पर अवस्थित, वाराणसी के नए और पुराने STP, यहाँ के प्रदूषण की गंभीर समस्या का निदान तभी कर सकते है, यदि इन्हें विभिन्न बालू क्षेत्रों से जोड़ दिया जाये. STP के इम्पैक्ट-एसेस्मेंट को नहीं जानने के कारण गोइठहाँ और रमणा में STP बना है, किन्तु इनमें आउटफॉल साइट की समस्या है. भगवानपुर STP की आउटफॉल साइट, अस्सी घाट की प्रमुख समस्या है. अतः केवल STP ही प्रदूषण-निवारक या प्रदूषण कारक को परिभाषित नहीं करता है. गंगा बोलती है कि "मेरी समस्यायों का निदान कैसे?" यही है गंगा का आँकड़ा, यह मॉडल जैसा ही कार्य करता. यही है "गंगा के पैथोलोजिकल आंकड़ों" का नहीं होना.
गंगा की समस्या के कारण :
गंगा नदी कुछ ना बोलते हुए भी समस्त वेदनाओं को अपने विभिन्न क्रियाकलापों से प्रकट करती रहती हैं. इनका आकलन नहीं कर पाना, नदी की भाषा को नहीं समझना, हमारी अनभिज्ञता है. उदाहरण के लिये, बाढ़ का आना, बाढ-क्षेत्र का विस्तार और फ्लड-प्लेन के दबाब, प्रेशर-ग्रेडिएंट का एकाएक बढ़ना है. गांव के गांव कटने का, मियैन्ड्रींग का कारण अधिकतम गहराई को नदोत्तर किनारे के पास आना और इस किनारे के ढ़ाल का अधिकतम होना है. इसी तरह प्रदूषण का कारण एकाएक आवेग का ह्रास होना, सेपरेशन-जोन का फार्मेशन होना तथा जल के घनत्व का बढ़ना है. इन मौलिक आँकड़ों को निर्धारित विभागों द्वारा उपलब्ध नहीं किया जाना, गंगा की गम्भीर समस्या की ओर इशारा करता है.