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गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

  • By
  • U.K. Choudhary
  • December-02-2019

MMITGM : (29), पहाड़ शिवलिंग हैं -



भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! पहाड़ रूप महान स्थिर और केन्द्रस्थ, आप का शिवलिंग जड़ पाताल में कहाँ है पता नहीं. चुपके से, सम्पूर्णता से पदार्थ और शक्ति का अन्तः और बाह्य-प्रवाह चमत्कारी रूप से करते हुए वातावरण की अध्यक्षता करने वाले, आप सचमुच में नटवर-लाल हैं. कितने गहराई के भूजल को आपका लिंग अवशोषित करता है? क्या आपके पहाड़ी-शिवलिंग की ऊँचाई, इसकी गहराई को परिभाषित करती है? क्या इस लिंग की भूजल अवशोषण-शक्ति, चट्टानी-रॉक की छिद्रता, पोरोसीटी पर आधारित है? क्या यही लिंग के प्रभावी-क्षेत्र और energy radiation को परिभाषित करता है? भूजल का नदी में रूपांतरण आपके पहाड़ी-शिवलिंग के किस स्थान से किस दिशा में होता है, यह आप का गूढ़ रहस्य है? आपके हिमालयन-शिवलिंग पर आकाश-गंगा और पाताल-गंगा क्या है? क्या आप के इस लिंग से प्रस्फूटित होने वाली जलधाराओं से निस्तरित होने वाली वाष्प-धारा आकाश-गंगा है? क्या यही ताप और दबाव की संतुलितता से वातावरण को संचालित करता है? क्या पाताल के चंहुदिश से आपके लिंग द्वारा अवशोषित हो रहा भूजल पाताल-गंगा है? क्या आपके पहाड़ी-शिवलिंग पर स्वतः से अवस्थित जंगल आपके लिंग की भूजल शोषण शक्ति रूप स्थैतिक-ऊर्जा को तिक्ष्ण करते हैं? क्या आप के हिमालयन-शिवलिंग के ढ़ाल ग्रेट-प्लेन ऑफ इन्डिया की समतलता के कारण का द्योतक हैं? क्या आपके पहाड़ी-शिवलिंग की विशालता बेसिन के क्षेत्रफल का समानुपाती है? हे भोलेनाथ! आप का पहाड़ स्वरुप शिवलिंग प्रत्यक्ष रूप से पावर-हाउस और वातावरण को मोनीटर करने वाला है. आप सर्वप्रमुख हैं श्रीमान..आप को प्रणाम है.

MMITGM : (30)


पहाड़-शिवलिंग, शक्ति-स्तम्भ क्यों? -



भगवान शिव, ब्रह्मांड के रचनाकार, न्यूट्रॉन से - हे भोलेनाथ! पहाड़-रूप शिवलिंग आपनें क्यों बनाया? क्या पृथ्वी के भीतरी और बाहरी शक्ति की संतुलनावस्था को स्थिर रखने के लिये? स्थान की विभिन्नता से आपके शिवलिंगाकार-स्वरूप में सम्पूर्णता से, आकार-प्रकार-ऊँचाई-गहराई-पदार्थियगुण आदि से रूपांतरण क्यों? इसके लिए पृथ्वी की विभिन्न गहराइयों पर विभिन्न शक्तियों की ज्वालामुखी का प्रस्फुटन (volcanic eruptions ) क्यों किया गया? क्या यह बेसिन के ढालिये एवं अन्य चारित्रिक गुणों के बदलाव से वातावरण को बदलते जीव-जगत में विभिन्नता को लाने के लिये है? क्या यह भूजल को ऊपर कर बेसिन को शक्ति-सम्पन्न बनाने की आपकी तकनीक है? कुछ भी हो, भोलेनाथ! आपने पहाड़ रूप के अपने लिंगाकार स्वरूप से पृथ्वी की सतह को विभिन्न-शक्ति-क्षेत्रों में बाँटकर विभिन्नता से, विभिन्नता में, एकरूपता को समाविष्ट कर जीव जगत को आनंदानंद से चमत्कृत कर दिया है. क्या आपके समस्त पहाड़ी-शिवलिंगों की अवस्थिति माइक्रो से मैक्रो, सूक्ष्म से वृहद वातावरण का निर्माण करती है? मुझे समझ में नहीं आ रहा है भोलेनाथ कि आप क्या हैं? यह आप समझाने की कृपा कीजिये, आप को कोटिशः प्रणाम.

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