STP के लगभग समस्त स्थान एलुवियल मृदा पर अवस्थित हैं : बनारस के भगवानपुर, दीनापुर, रमणा, गोठहवाँ आदि किसानों से अधिग्रहित उपजाऊ भूमि, सैकड़ो-करोड़ों रू. की है. यह बालूक्षेत्र में मुफ्त प्राप्त होगा और यह भूमि जिसकी कोफिसियेंट ऑफ परमियैबलिटी 10 के ऊपर माइनस 5 पावड. सें.मी /से. है. 100 एमएलडी, एस.टी.पी. अवजल से सिंचाई के लिये कम से कम 1200 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी और इस अवजल को बालूक्षेत्र में व्यवस्थित करने के लिये मात्र 10- 12 हेक्टर बालू की अनुपयोगी भूमि की आवश्यकता होगी. अत: STP के लिये भूमि-अधिग्रहण और सिंचाई के लिये भूमि की व्यवस्था, उनकी विभिन्न समस्याएं, वायु-मृदा-भूजल, पैथोजन्स, अनोरौविक-बैक्टीरियल-ग्रोथ, फूड-ग्रेड-प्रदूषण आदि की समस्त समस्याओं का निदान एक साथ, “तीन-ढाल सिद्धान्त” के तहत संभव है. भूमि की मृदा-गुण, इसके ढ़ाल, इससे सम्बन्धित भू और सतही जल आदि संरक्षित रखने अन्य समस्त समस्याओं का निदान एक साथ स्थायी रूप से हो सकता है.
बनारस में सीवर-पाइप की कुल लम्वाई 500 कि.मी.से ज्यादा होगी (सही आँकडा उपलब्ध नहीं है). इस सीवर का अधिकांश भाग गाद-अवसाद से भरा हुआ है क्योंकि बनारस में तीन नदियाँ, तीन दिशाओं की विभिन्न ढ़ाले, इनको ध्यान में नहीं रखते हुऐ सीवर-पाइप बिछा दिया गया और सीवर के गंगा में ऐसे जगह पर, उस तरीके से जोड़ा गया, जो गंगा के स्थैतिक, गतिज, टर्बुलेन्ट, सेकेंडरी-सर्कुलेशन आदि शक्तियों को विनष्ट करता हुआ और प्रदूषक को डाउन-स्ट्रीम में कई कि.मी. में फैलता है. इन सब को ध्यान में रखते हुए सीवर का डिजाइन होना है.