यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेअ्खिलम् । यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम् ।। गीता : 15.12 ।।
श्लोक का हिन्दी अर्थ
सूर्य में स्थित जो तेज
सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है तथा जो तेज चन्द्रमा में है उसको तुम मेरा ही
तेज जानो.
श्लोक की वैज्ञानिकता
सूक्ष्म एटम के न्यूक्लियस
में अवस्थित अति सुक्ष्म न्यूट्रॉन के हिलने मात्र से महाविध्वंसकारी गामा-रे निस्तारित होता है, जो यह सत्यापित करता कि हर एक एटम अपने आप
में एक तेज पुन्ज है. एटम से ऑर्बिटल का आवरण के साथ नृत्य करता हुआ इच्छारूपी इलेक्ट्रान
हटा और आवेशित आत्मा प्रोट्रोन अलग हुई न्यूट्रॉन अकेले परब्रह्म का अंश आत्मा शक्ति की प्रचंड ज्वालामुखी बची. सूक्ष्म
एटम मात्रा में इतनी शक्ति है तो सूर्य के मात्रा की न्यूट्रॉन से कितनी शक्ति की गामा-रे
होगी? यही है सूर्य की शक्ति. विभिन्न पदार्थों में यह
आणविक शक्ति ही छिपी हुई है. ब्रह्म शक्ति का चन्द्रमा, अग्नि आदि परावर्तित और दृश्य
अवलौकिक रूपांतरित शक्तियाँ हैं.
गंगा कहती है
सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि
का तेज हर क्षण शुद्ध शक्ति प्रवाह है. इनका कार्य पदार्थ को शक्ति में, शक्ति को शक्ति में तथा शक्ति
को पदार्थ में हर क्षण नियमबद्ध होते अपने आप रूपांतरित करते रहना होता है. यही
ब्रह्म कार्य है, यही मैं करती हूँ, यही है मेरा ब्रह्माणी स्वभाव. अतः तुम डैम बैरेज STP कुछ बनाओ, हमसे पूरा जल
निकाल लो और मल-जल भर दो, हमें तुम्हारे
किसी कार्य से मतलब नही, तुम जैसा करोगे, वैसा ही भोगोगे.