अयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः
शठो नैष्कृतिकोअ्लसः । विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते ।। गीता : 18.28 ।।
श्लोक का हिन्दी
अर्थ :
जो कर्ता आयुक्त शिक्षा
से रहित, घमंडी, धूर्त और दूसरों की जीविका का नाश करने वाला
तथा शोक करने वाला आलसी और दीर्घ सुत्री ‘तामस-कर्ता’ है.
श्लोक की वैज्ञानिकता
:
अयुक्त अपने शरीरस्थ
शक्ति को आवेग की विभिन्नता और अनियंत्रिता से निस्तारित करने वाला भावावेशी घमंडी
और धूर्त होता है. इस कारण उसकी कोशिकाएं अनियंत्रता से थरथराते काँपते टूटते बिखरते
शक्ति-क्षय करते रहते हैं. ऐसा व्यक्ति दूसरों में अपने से निस्तारित टर्बुलेन्ट एनर्जी
को विस्थापित करते उससे निस्तारित होते संतुलित शक्ति प्रवाह जिसके तहत वह कार्य
करता और उसकी जीविका चलती है, उसे नष्ट करता है, इनके उपरांत वह अपनी शक्ति का
निरंतरता से क्षय करते रहने के कारण आलसी और दीर्घ सूत्री हो अपने को किसी कार्य
के योग्य नहीं साबित करता है.
(37) केदारेश्वर नाथ
की गुफा में 17 घंटे तक योगस्थ,
ध्यानस्थ भूख और नींद को जीत कर रहने वाला भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
जन्मों के योगी हैं?
गीता (6.15-18) में भगवान श्रीकृष्णा कहते हैं - हे अर्जुन ! वश में किए हुए मनवाला योगी आत्मा
को निरंतर मुझ परमेश्वर के स्वरूप में लगाता हुआ मुझमें रहने वाली परमानन्द की
पराकाष्ठा रूप शांति को प्राप्त होता है और यह योग न तो बहुत खाने वाले को न
बिल्कुल न खाने वाले को, न बहुत शयन करने
के स्वभाव वाले को और न सदा जागने वालों को सिद्ध होता है. यह सर्व दुःखों का नाश
करने वाला योग यथायोग्य आहार-विहार करने वाले को कर्मों में यथायोग्य चेष्ठा करने वाले
को और यथायोग्य सोने तथा जागने वाले को ही सिद्ध होता है. अतः अत्यंत वश में किया
हुआ चित्त जिस काल में परमात्मा में ही भलीभाँति स्थित हो जाता है, उस काल में
सम्पूर्ण भोगों से स्पृहा रहित पुरुष योग युक्त है. 19.5.2019 को,
मोदी जी को M.P का इलेक्शन और 18.5 को उनका भगवान केदारनाथ की विहंगम गुफा में अन्न व जल त्याग कर रात-भर जाग कर
ध्यानस्त होना और सुबह में प्रसन्न चित्त गुफा से निकलना क्या यह उनके पूर्व
जन्मों का संकलित संस्कार नहीं है? क्या भूख और नींद
पर विदेशों में भी और सर्जिकल-स्ट्राइक की रात भी नियंत्रण रखने वाला तथा कितने ही
दिन रात-भर काम कर ताजा रहने वाला और व्रत के दिनों में विदेश में भी फलाहार रहने वाला
भोजन और नींद को जीतने वाला नही है ? क्या उनका भोजन शयन और रहन-सहन भोग विलासी है या सर्व-साधारण जैसा? नहीं उनका
सम्पूर्ण संस्कार एक जन्म का नहीं, कितने ही जन्मों
का संकलित संस्कार है. अतः भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कितने ही
जन्मों के संस्कार से भीतर के महान योगी और बाहर के महान कर्मयोगी हैं. यही है ऐसा
प्रधानमंत्री ‘न भूतो न भविस्यति’.
गंगा कहती है :
‘तमस कर्ता’ जैसे अपनी कोशिका और शक्ति प्रवाह के सम्बंध को नहीं समझता उसी तरह वह इंजीनियर और टेक्नोक्रेट जो मेरे स्ट्रीम-लाइन के कनवर्जेन्स-डाइवर्जेन्स और सेपरेशन को नहीं जानते, बाँध-बैरेज-पुल STP नालों आदि का कार्य करता है, वह गांव का झोलाछाप डाक्टर जैसा ‘तामस-कर्ता’ है. यही है नदी तकनीक की मूलता को बिना समझे नदी के समस्त कार्यों को करवाने वाली संस्था को ‘तमस’ होना.