पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम् । झषाणां मकरश्चास्मि स्त्रोतसामस्मि जान्हवी ।। गीता : 10.31 ।।
श्लोक का हिन्दी अर्थ:
मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्र धारियों में श्रीराम हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्रीभागीरथी गंगा जी हूँ.
श्लोक की वैज्ञानिकता :
वायु, अदृष्यावलौकित नृत्यांगणा समस्त अंगों से, निरंतरता से और विभिन्नता से निस्तारित होते रहने वाली विभिन्न अंगों की दुर्गंध युक्त रासायनिक अवयवों को इनके सूक्ष्माति सूक्ष्म जंतुओं को अवशोषित करते निस्तारित करता तथा पवित्र रखता है. इसी तरह वायु, ऑक्सीजन देते, जीवनदायिनी रहते हुए भीतरी विभिन्न गैसों को निकालते जीवन रक्षक ही ब्रह्म है. भगवान श्री राम-सीता स्वयंबर में परशुराम के कठोर धनुष बाण को तोड़ने वाले, धनुष बाण से समुद्र को सोखने की शक्ति रखने वाले, योद्धा रावण के समस्त बाणों को काटते हुए उसे अंग विहीन करने वाले राबण को ‘रहा न कुलकोई रोवनहारा कहलवाने वाले, भगवान श्रीराम परब्रह्मरूप हैं. मगरमच्छ व मछली शक्तिशाली तेज और झुण्ड में चलने वाली जल की शुद्धता रखने वाली जल वातावरण की रक्षिका ब्रह्मस्वरूपा है. जाह्नवी भागीरथी गंगा अपनी सर्वोच्च स्थितिक गतिज ऊर्जाओं, जलगुण विलक्षणताओं जलस्त्रोतों को समेटने की क्षमताओं भूजल की प्रवलताओं और विश्व का सबसे समतल सबसे ज्यादा उपजाऊ और विभिन्न अन्यगुणों से युक्त, दी ग्रेट प्लेन ऑफ़ इंडिया नाम से प्रसिद्ध, 50 करोड़ लोगों और असंख्य अन्य थलचर जीवों सहित जल और नभ चर जीवों का पालक-रक्षक, ब्रह्म स्वरूपा है.
गंगा कहती है :
असि, वाराणसी में मेरे किनारें की गतिज ऊर्जा को बढ़ाते मिट्टी जमाव को नियंत्रित करने वाली और वरूणा, मेरे आवेग का क्षय करते हुए मेरी मिट्टी को ढोने की शक्ति को क्षीण करते हुए, मेरी मिट्टी से ही मेरे कटाव को बढ़ाने वाली ये दोनों सहायक नदियाँ, नालियाँ बन कर दुर्गंध फैलाने वाली हो गयी है. इस समस्या का वायु प्रदूषण का निवारक घाट पर और पूरे क्षेत्र में वायु ही होती है. इसी तरह STP के क्षेत्र का वायु प्रदूषण की जटिलता वायु की तीव्र गति से ही कम होती है. अतः वायु ब्रह्मरूपा है. मेरे जल में ऑक्सीजन रखने की और सूक्ष्म जीवाणुओं को मारने वाली क्षमता राम बाण की तरह ब्रह्मरूपा है. विभिन्न गुणों और बहुतायत वाली नाना तरहों की मछलियों एवं अन्य जल-जीवों से जल-गुण संरक्षण ब्रह्मरूप है और मैं स्वयं नदियों, नालाओं और भूजल समेटते अपने अमृत स्वरूप जलगुण को धारण करते हुए अनन्त जीवों का पालन पोषण करने वाली ब्रह्माणी हूँ.