प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम् ।। मृगाणां च मृगेन्द्रोअ्हं वैनतेयश्च पक्षिणाम् ।। गीता : 10.30 ।।
श्लोक का हिन्दी अर्थ :
मैं दैत्यों में प्रह्लाद, दमन करने वालों में काल हूँ, पशुओं में सिंह हूँ तथा पक्षियों में गरुड़ हूँ.
श्लोक की वैज्ञानिकता :
दैत्यों में प्रह्लाद, अशांति मध्य शांति विभिन्न अक्षों पर शक्ति शक्ति तरंगों को भांजता ऐलेक्ट्रोन्स के मध्य स्थिर केन्द्र को परिभाषित और परिलक्षित करता है. यह जन्मजात अन्तः केन्द्रामुखी शक्ति प्रवाह का होना, पूर्व जन्म का संस्कार है. यही है, जन्म-जन्म से शक्ति प्रवाह का नियंत्रक, केन्द्रस्थ रहने वाला, किसी विशेष कारण से दैत्य कुल में जन्म लेने वाला प्रह्लाद ब्रह्म रूप है. धन, विद्या, बल, सुन्दरता और समस्त गुणों- अवगुणो से विभिन्न रूपों से तरंगायित होती रहती अनंत-तरंगों को शांत करने वाला समय ब्रह्म है. हर एक कार्य का समय केन्द्र और हर एक क्षण का कार्य केन्द्र को समझना, ब्रह्म को समझना, एकाग्रता का निर्वहन ही समय का ब्रह्मरूप है. शक्ति और क्षमता से सिंह, समस्त जानवरों का राजा, उनके डर व कम्पन्न का कारण, स्थिर मदमस्त केन्द्र और समस्त शक्तियों की शक्ति, मातेश्वरी, भगवती दुर्गा, शिव शक्ति की वाहन मृगराज सिंह ब्रह्मरूप है. पक्षियों में सबसे शक्तिशाली सबसे ऊँचे और सबसे तेज उड़ने वाली अर्थात स्थैतिक और गतिज ऊर्जा वाला पक्षी, गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन, पक्षियों का राजा, सीता हरण में रावण से लड़ने वाला भगवान राम को ब्रह्म फाँस से छुड़ाने वाला अभी भी चेन्नई के गरुड मंदिर में आने वाला ब्रह्म रूप है.
गंगा कहती है :
वर्तमान काल का मेरा प्रह्लाद, मैथिल कवि विद्यापति, जिसके लिए मैनें अपनी धारा बदली वह योगीराज तैलंगस्वामी जिनके लिए मैने दूध की धारा बहायी और महान साधक रैदास जी छोटे कुल के मेरे बहुत प्रिय पुत्र जिनके लिए कटौरे में मैं विराजमान हुई थी. तुम अंग्रेजों के अमानवीय व्यवहार का अनुसरण करते हुए चलते हो और मुझे सुखाते हुए, मेरे जल को प्रदूषित कर देते हो पर अभी भी मेरे प्रह्लाद पुत्र श्रद्धा भक्ति से पूर्ण नित्य स्नान ध्यान करने वाले हैं. तुम समझ लो मुझसे अन्यायपूर्ण भावना से जुड़ने वालों के लिए मैं महाकाली हूँ. इसे तुम गम्भीरता से सोच कर देख लो. मेरे भयानक जंगलों में मृगराज सिंह और मानसरोवर हंस, गंगासागर के विशाल क्षेत्र में विभिन्न बहूमूल्य पक्षियों का वास स्थान है. अतः मैं ब्रह्माणी हूँ.