केन्द्रस्थ : Catching-hold of Nucleus : MMITGM : (43) :
आप की पूजा क्यों, भोलेनाथ? क्या आप अन्नदाता, ज्ञानदाता-शक्तिदाता हैं? यदि हैं, तो कैसे? पूजा, आंतरिक-आकाश, कोशिका-व्यवस्था ही ज्ञान, ध्यान, शक्ति है.
"करालंमहाकालकालंकृपालम्", कैसे आप हैं? भोलेनाथ! आप के पर्वतीय हिमालयन शिवलिंगाकार-स्वरूप के बहुआयामी पदार्थीय-शक्ति तरंगों को थोड़ा तो समझा, पर मंदिर में, घर में आप की पूजा क्या है? जल, दूध और नाना तरहों के पदार्थों को आप को अर्पण करना क्या है? यज्ञ, हवण, तर्पण आदि क्या है? भोलेनाथ! क्या यह "श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं" है? ज्ञान कोशिका की व्यवस्था है. इसी को शक्ति कहते हैं. अत: आप की पूजा का अर्थ है, अपनी पूजा करना, अपनी कोशिका को व्यवस्थित करना, अपने आप को शक्तियावेष्ठित करना. जितना चीज शुद्ध-मन से, आत्मस्थ होकर अर्पण, उस वस्तु से लगाव, उसके कारण भीतर की गुदगुदी, तड़प का मिटाव आदि का होना. यज्ञ-दान-तप आदि सभी से अपनी भीतरी-तहों के कपकपाती कोशिका को सीधा करते स्थिर करना, भीतर के भीतरी-आकाश को व्यवस्थित करना, अपने-आप को शक्तिशाली बनाना ही है भोलेनाथ. अतः आप की पूजा, अर्चना, ध्यान, ज्ञान कोशिका व्यवस्था और शक्ति अर्जित करना है. यही अर्थ है आपके ध्यान से कोशिका को दृढ़ कर ज्ञानी और शक्तिशाली बनना, मस्त होना. आपको कोटिश प्रणाम, निरंतरता से शक्तिशाली बनाये रखने का निवेदन करता हूँ.
केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (44) :
हे पूर्णशांत, आनंदानंद में समस्त ऑर्बिटल के इलेक्ट्रोन को कपकपाते भीतर में स्थिर न्यूट्रॉन रूप में विराजमान, भोलेनाथ! आपके हिमालयन-शिवलिंग के चहुँदिशीय विभिन्न अक्षों पर विभिन्न आयामों के साथ नृत्य करती प्रकृति, वातावरण का क्या होता जायेगा, यदि इसके भीतरी और बाहरी आकाशीय स्वरूप बदलने की सीमा को लांघा जाये? यदि आपके सूक्ष्म स्वरूप, न्यूट्रॉन के हिलने से गामा-रे निकलता है तो हिमालयन शिवलिंग के विशेष कंपायमान होने से क्या होगा? क्या हिमालयन-समस्त नदियों के मृदाभार का बढ़ना, अप्राकृतिक-विभिन्न जलाशयों (reservoirs of the dams) के बढ़ने से, छोटे-छोटे भूकंपों से, लैंड-स्लाइड का होना, समतल-भूमि, ग्रेट प्लेन ऑफ इन्डिया में प्रवाहित हो रही गंगा का मृदाभार विश्व की किसी भी नदी से ज्यादा होना, क्या यह आपके हिमालयन-शिवलिंग का हिलना नहीं है भोलेनाथ? आपके इस हिमालयन शिवलिंग का संरक्षण कैसे हो? आप कृपा कर ज्ञान-ध्यान और शक्ति दीजिये. आप को कोटिशः प्रणाम.