नेशनल गंगा काउंसिल की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री माननीय मोदी ने कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास किए जा रहें हैं, ठीक उसी प्रकार गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण मुक्त किया जाएगा. उन्होंने इन नदियों की जिम्मेदारी एनजीसी को देते हुए विभिन्न विचार-विमर्श किए.
गंगा को एशिया की सबसे पवित्र नदी बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे. सरकार द्वारा इस कार्य के लिए व्यापक स्तर पर पहल की गयी है. साथ ही टेनरियों व औद्योगिक प्रदूषण निकलने वाले सीवेज में आई कमी के कारण गंगा की स्थिति पहले से बेहतर हो पाई है, अभी और अधिक सुधार के लिए अन्य कार्य भी करने हैं.
गंगा नदी की स्वच्छता पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को गंगा नदी को साफ रखना अपना कर्तव्य समझना होगा. तभी गंगा की निर्मल व अविरल बहती रहती रहेगी.
इस बार गंगा के लिए भी केंद्र सरकार द्वारा बजट का प्रावधान रखा गया है, जिसमें पांच राज्यों में 7700 करोड़ रुपए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों पर खर्च हो चुके हैं.
इसके साथ ही गंगा की परियोजनाओं से स्थानीय लोगों को भी आगे आना होगा, जिसमें नदियों के किनारे रहने वाले किसानों को जीरों बजट कृषि, फलदार वृक्षों के रोपण और पौधों की नर्सरी बनाने के लिए जागरूक करना होगा और इसी के साथ किसानों की आय से जोड़ना होगा. इस बैठक के अवसर पर सात केंद्रीय मंत्री, उतराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह मौजूद रहे.