TGP, "दी थ्री गौर्ज प्रोजेक्ट डैम" चीन का, 175 मी. ऊँचा, 18,000 मेगावाट हाइड्रोपावर क्षमता का, मॉडल अध्ययन समय 25 से 30 वर्ष के अध्ययन के बाद बना है. परन्तु हमारे गंगा भीलंगना-संगम पर बना टिहरी बाँध 260.5 मी. ऊँचा, डिज़ाइनड हाइड्रोपावर 1500 मेगावाट और वास्तविक 750 मेगावाट का ही क्यो? इसका कारण है कि यह डेम बिना सही मॉडल के बना है. टिहरी डेम कमेटी के सदस्य प्रो. यू. के. चौधरी ने बार-बार यह पश्न उठाया, परन्तु किसी ने भी कोई जबाब नहीं दिया. नोट ऑफ डिसेंट लिखा, 6 दिन की मीटिंग में 6 बार लेक्चर भी दिया. परन्तु समस्त डॉक्यूमेंटस को छिपा लिया गया और बिना मॉडलिंग अध्ययन के टिहरी डेम निर्मित हो गया. सम्पूर्ण देश और गंगा, जहां समस्याओं को झेल रही है और अभी के गंगा के समस्त कार्य, चाहे STP के इंस्टालेशन का हो, विभिन्न स्थानों पर डेम बनने का कार्य हो या माल वाहक जहाज के चलने का कार्य हो. बिना मॉडल-अध्ययन के किया जा रहा है. यह गंगा की बहुत बड़ी समस्या है.
गंगा के "सेंड बेड एण्ड फ्लो एनर्जी फॉर वेस्टवाटर मैनेजमेंट", पी.एच.डी. थीसिस में वर्षों का समय मॉडलिंग द्वारा अध्ययन करने में लगा है. अतः बिना मॉडलिंग का गंगा पर कोई कार्य नहीं हो सकता है, परन्तु सारे के सारे कार्य बिना मॉडल अध्ययन के किये जा रहे हैं और गंगा अन्वेषण केन्द्र, जो 1985-86 में BHU के 7 प्रोजेक्ट्स में से है, इसी कार्य के लिये बना था, उसमें 2011 से ताला लगा है. अतः गंगा के समस्त कार्यों के लिये मॉडल अध्ययन का होना आवश्यक है. यह नहीं हो रहा है, यही गंगा की जटिल समस्या है.