अधर्मं धर्ममिति या मन्यते तमसावृता । सर्वार्थान्विपरीतांश्च बुद्धिः सा पार्थ तामसी ।। गीता : 18.32 ।।
श्लोक का हिन्दी
अर्थ :
हे अर्जुन ! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को ‘यह धर्म’ है, ऐसा मान लेती है तथा इसी प्रकार अन्य सम्पूर्ण पदार्थों को
भी विपरित मान लेती है, वह बुद्धि तामसी है.
श्लोक की वैज्ञानिकता
:
अभ्यास, शक्ति-प्रवाह का
रेखांकन है, इसकी बारंबारता पदार्थीय घर्षण की व्यवस्था को व्यवस्थित करता है. यही
रास्ते के चरित्र का निर्माण करना या होना होता है. यही है कोशिका का प्राकृतिक
स्वरूप और अप्राकृतिक स्वरूप से बाल्यकाल के चरित्र का निर्माण करना. विभिन्न
कारणों से इनका समय से नहीं हो पाना, सत्संग का बुरा होन, मानव का पशुवत हो
जाना और उसमें तामसी ज्ञान का हो
जाना होता है.
6.(40) गीता का ज्ञान भारत
का निर्माण और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का योगदान:
जगजननी माँ के श्री चरणों
में प्रणाम साक्षीभाव-पुस्तक
के प्रत्येक चैप्टर का शीर्षक कवि नरेन्द्र मोदी के हृदयस्थ ‘सर्वजन-हिताय’ गीता का ज्ञान है, यही कारण है उनके कार्य को गीता ज्ञान के
सापेक्ष तुलना करना.
गीता (18.30-32) में भगवान श्रीकृष्ण यह प्रतिष्ठित करते हैं कि
सतोगुणी बुद्धि जिसके द्वारा मनुष्य यह जानता है कि क्या करणीय है और क्या नहीं है, किससे डरना चाहिए और
किससे नहीं को दबाकर धर्म अधर्म में अन्तर को नहीं समझते हुए धर्म को अधर्म मानने
वाला सतोगुणी से तमोगुणी होता है. इस ज्ञान की तीव्रता
से होते ढलान ही देशभर में अराजकता, व्याभिचारी, गुण्डागर्दी व ठगवाजी आदि के बढते
जाने से लूटती, मिटती, इज्ज्त, प्रतिष्ठा और फैलती अशांति का कारण है. इसके लिए
अनिवार्य शिक्षा, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, शिक्षा, दीक्षा, शादी, विवाह आदि के लिए बैंक से सस्ते सूद
के दर पर कर्ज की व्यवस्था सम्पूर्णता से निदान नहीं है. इसके लिए प्राइमरी शिक्षा
नीति में गीता के धर्म विज्ञान, इन्द्रीय मन, बुद्धि,
आत्मा व परमात्मा का आधारभूत ज्ञान चरित्र निर्माण के लिए सिलेबस में समाहित करना
आवश्यक है.
गंगा कहती है :
मनुष्य के गुणात्मक होते चारित्रिक ढ़लान के समानुपाती ही मेरी जल, मृदा, वायु, आकाशीय एवं शक्तिय गुण ढलान होते हैं. वाराणसी में गंगा-घाटों पर जल में ऑक्सीजन का औसतन मान 5-7 पी.पी.एम से घटकर 3-5 होना, B.O.D भार का 5-7 से बढकर 10-12 पी.पी.एम हो जाना. घाटों के जल का रंग बदलना, इससे दुर्गंध का आना, घाटों पर जल में बजबजाहट का होना, घाटों से घर लाए गंगाजल से बदबू का आना तमस ज्ञान के तहत STP को बालू क्षेत्र में विस्थापित नहीं कर इन्हें शहर के गंगा किनारे पर करना तामसी ज्ञान है.