रागी कर्मफलप्रेप्सुर्लुब्धो हिंसात्मकोशुचिः । हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः ।। गीता : 18.27 ।।
श्लोक का हिन्दी
अर्थ :
जो कर्ता आसक्ति से युक्त, कर्मों के फल को
चाहने वाला और लोभी है तथा
दूसरों को कष्ट देने के स्वभाव वाला, अशुद्धाचारी और हर्ष शोक में लिप्त है - वह राजस कहा गया है.
श्लोक की वैज्ञानिकता
:
आसक्ति से युक्त शक्ति को किसी वस्तु को आकर्षित करनें में, उसे
अपने से सटाये लगाए रहने वाला, अपने भीतर में
शक्ति को कम रखने वाला कमजोर व्यक्ति होता है. इस कमजोरी की स्थिति में उसे
इन्द्रियों को संतृप्त करने में शक्ति लगानी पड़ती है, यही कारण है उसके लोभी और असंतुष्ट
होने से दूसरे को भी असंतुष्ट करते रखने का अर्थात उसे कष्ट देते रहने का प्रयास
करना और यही है हर्ष व शोक में लिप्त होने का ‘राजस-कर्ता’ को होना.
(36) न्यूक्लियस में
समाविष्ट, हर्ष व शोक में समान स्थित-प्रग्य भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र
मोदी पूर्ण विवेकवान कर्म योगी हैं? :
गीता (2.48-49 और 18.26) में भगवान श्रीकृष्ण कहते है - हे धनंजय ! तुम आसक्ति को त्याग कर तथा सिद्धि और असिद्धि
में समान बुद्धिवाला होकर योग में स्थित हुआ कर्यव्य कर्मो को कर. इस समत्वरूप
बुद्धियोग से सकाम कर्म अत्यन्त ही निम्न श्रेणी का है इसलिए तू समबुद्धि में ही
रक्षा का उपाय ढ़ूंढ. आगे भगवान कहते हैं - कि तुम किसी के संग नहीं, लोग तुम्हारे संग अहंकार के वचन को न बोलने
वाला और धैर्य और उत्साह से युक्त हो जाओ. यह समत्व बुद्धियोग (1) कुछ दिन पहले 4 प्रान्तों में इलेक्शन हारने के उपरांत भी
अपने आत्म बल को अंशमात्र भी न्यून नहीं होने देने वाले (2) अपने उत्साह और उमंग को कई गुणा नियोजित ढंग से बढाने वाले
(3) गम्भीरता के संग आत्म विश्वास
रखते दिन-रात बिना थकावट के देशभर में सैकड़ों भाषण देने वाले (4) भाषण में डर और अहंकार नहीं और सत्यवादिता के
उदाहरण के साथ की प्रस्तुति करते रहने वाले और (5) सम्पूर्णता के साथ समाज के हर वर्ग के गरीब-अमीर को समेटते
उनके भविष्य निर्माण के अपनी प्लानिंग की प्रस्तुति करते रहने वाले और (6) अपने इलेक्शन से पहले हिमालय के शीषर्स्थ
अवस्थित ब्रह्मांड के पहरेदार भूतनाथ केदारेश्वरनाथ से भारत का पहरेदार बनने का
आशीर्वाद प्राप्त कर शालीनता से देश के अतिविशिष्ट जन-प्रिय नेता होने का परिचय इस
M.P इलेक्शन के दौरान लगभग दो
माह के अन्दर देशवासियों के समक्ष प्रस्तुत करता हैं, भारत के दुबारा प्रधानमंत्री
बनने वाले उम्मीदवार आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदीजी.
गंगा कहती है :
अंग्रेजों की भारत को गुलामी में जकड़े रख भारतवासियो को उनकी संस्कृति और संस्कार की आधार गंगा को सदा के लिए नष्ट करने की आसक्ति ने भीमगोडा बिजनौर और नरौरा बैरेज बनाने की प्रेरणा दी. भारत को स्वतंत्रता प्राप्त किये 72 वर्ष हो गए, हमारे इस जकरण की समीक्षा का अभी तक नहीं होने से फ्लड प्लेन में निरंतरता से बढ़ते परिवर्तित होते मृदा-जमाव व इस जमाव से मियैन्ड्रींग भूक्षरण होना उदाहरण – भागलपुर, पटना व वाराणसी आदि से गंगा की धारा का बदलना, कम वर्षा में भी बाढ़ की समस्या का होना आदि के कारक इन बाँधों की समीक्षा प्रशासन द्वारा अभी तक नहीं किया जाना ‘तामसी-कर्ता प्रशासन’ है.