सद्भावे साधुभावे च सदित्येतत्प्रयुज्यते । प्रशस्ते कर्मणि तथा सच्छब्दः पार्थ युज्यते ।। यग्ये तपसि दानें च स्थितिः सदिति चोच्यते । कर्म चैव तदर्थीयं सदित्येतत्प्रयुज्यते ।। गीता : 17.26-27 ।।
श्लोक का हिन्दी अर्थ :
परम सत्य भक्तिमय यज्ञ का लक्ष्य है और उसे सत् शब्द से अभिहित किया जाता है।
हे पृथापुत्र ! ऐसे यज्ञ का सम्पन्नकर्ता भी सत् कहलाता है. जिस प्रकार यज्ञ, तप व
दान के सारे कर्म भी जो परमपुरुष को प्रसन्न करने के लिए किये जाते हैं, वह सत् हैं ।
श्लोक की वैज्ञानिकता :
भक्तिमय यज्ञ, तम्हीं मात्र सब झूठे, तुम्हारी ठग-पन्नी मेरी शक्ति क्षय का कारक है. यह बज्र
अवधारणा शक्ति-तरंगों की अधिकतम संघनित और आवृत्ति के साथ लक्ष्य बिन्दु में अपनें
आप को अर्थात अपनें-आपको भी शक्ति-तरंग के रूप में स्थापित करने जैसा है; यही है, जो तुम हो वही मैं हूँ. हममें और
तुममें कोई अन्तर नहीं, बीच का सब झूठा और तुम्हारी ठग-पन्नी मात्र. यही है, ज्ञान
योग भक्ति. यही है, ‘यज्ञ, तप व दान का 100% उसको प्राप्त है. यही है ‘त्वदीयं वस्तु
गोविन्दं त्वमेव समर्पितं’ यही है ^सत्^ , सत्य-भाव में श्रेष्ठ , ब्रह्म-भाव.
गीता (2.71) सत्यापित करती है,
अपनें सम्पूर्ण इन्द्रिय भोग की कामनाओं को
हवनकुंड में हवन कर ममता और अहंकार रूपी मन को बुद्धि में रूपांतरित कर भारत के
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी स्थितप्रग्य हैं. (13)
इन्द्रिय भोग को तिलांजली देनें से, विदेश में भी नारियल-पानी आदि पर उपवास रह
जिह्वा को पूर्णरूपेण नियंत्रित रखते
आत्म-ज्योति कि प्रखरता से किसी अन्य तरह के भोग-विलास पर कभी ध्यान नहीं देकर
विलासिता भोगियों को अपनी ओर आकर्षित करनें से, अपने लिये निस्पृहता, पद-लोलुपता
की निःस्वार्थता का परिचय देते हुए देश और विश्व कल्याणार्थ कार्य करने और अपने-आप
को देश-विदेश में अहंकार रहित होते अपने देश सहित उनके देश हित और विश्व-शांति के विषय
में सोचने से उनसे गाढा सम्बन्ध स्थापित करते हुए विश्व सम्मान पाने में और विश्व
के अधिकांश राष्ट्राध्यक्षों से अंतरंग मैत्री स्थापित करने में महारथ प्राप्त
करनें वाले भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शांत मनःस्थिति के रहते
स्थितप्रग्य हैं, को सत्यापित करता है.
गंगा कहती है :
सत्य और श्रेष्ठ भाव मेरे प्रत्यक्ष स्थैतिक ऊर्जा उद्गमस्थल की ऊँचाई का सर्वाधिक होना विश्व में एकमात्र मेरे जल का मेडिसिनल वाटर होना, मेरे समतलीय एक्यूफर डेफ्ट की गहराई का सर्वाधिक होना विश्व के सबसे समतल बेसीन का होना, यज्ञ, तप व दान आदि श्रेष्ठ आचरण से मेरा प्रकट होना ये सभी हमारे सत्य श्रेष्ठ गुण हैं.