न तदस्ति पृथिव्यां वा दिवि देवेषु वा पुनः । सत्त्वं प्रकृतिजैर्मुक्तं यदेभिः स्यात्त्रिभिर्गुणैः ।। गीता : 18.40 ।।
श्लोक का हिन्दी
अर्थ :
पृथ्वी में या आकाश में
अथवा देवताओं में तथा इनके सिवा और कहीं भी ऐसा कोई भी सत्व नहीं है जो प्रकृति से
उत्पन्न इन तीनों गुणों से रहित हो.
श्लोक की वैज्ञानिकता
:
शरीर की ई.सी.जी शरीर के
कम्पन की ऊँची, मध्यम और निम्न तरंग आयामों को नीचे, मध्य व उच्च रक्तचापों को हृदयाघातों
को परिलक्षित करता है. ई.सी.जी का यह रूप ब्रह्मांड के समस्त पदार्थों में हैं. अर्थात् ब्रह्मांड की हर वस्तुएं
बदलते विभिन्न आयामों से काँप रहे हैं. यही है ब्रह्माण्ड की हर वस्तु को प्रकृति
के अधीन होना. यही है ब्रह्म की चक्की का अनवरत विभिन्न रूप से सबको घसीटते चलना.
(47) भारत का गीता-गंगा
विज्ञान
राष्ट्र-भाषा-हिन्दी ही
क्यों ?
(गीता 18.36-37) में भगवान श्रीकृष्ण कहते है – सात्विक सुख आरंभ में कष्टकारी प्रतीत होता है पर उसका
फल आनंददायक होता है. ठीक इसी तरह भारत की राष्ट्रभाषा भारत माँ की भाषा, 130 करोड़ में से अधिकांश की भाषा, गंगा की भाषा, भगवान
राम और कृष्ण की भाषा, महान साधु-संत की भाषा, भाषा-समृद्धि की भाषा आदि आधारभूत आधार पर
आधारित रहते देश के समस्त प्रान्तों के विभिन्न भाषा-भाषियों उनके सभ्यता और
संस्कृति आधारित रहन-सहन को राष्ट्र की बहुसांस्कृतिक धाराओं को एक प्रबल-प्रवाह
की अपनी राष्ट्रवादी धारा में समायोजित रखने की नितांत आवश्यकता है. यही होगी भारत
के अखंडता की आधारशिला. यही है ‘हिन्दी को
राष्ट्रभाषा’ के रूप में
स्वीकार करना. राष्ट्र को इस नीति से विरत होना, गीता और गंगा के सात्विकी पथ को
त्याग कर स्वार्थ सिद्धि के लिए राजसी पथ अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण होगा.
गंगा कहती है :
भगवान श्रीकृष्ण तुम्हें मुक्ति का पाठ पढ़ाते हैं और मैं तुम्हें मुक्ति देने आयी हूँ. अतः मैं ही गीता का मूर्ति रूप हूँ. मेरी वेदना सुनों - ब्रह्माण्ड के देवताओं-मानवों सहित हरेक कण सात्विक, राजस व तमस तीनों सुखों से अपने-अपने थड़थड़ाने का आयाम निरंतरता से बदलते हुए अन्त को प्राप्त होते हैं. अतः मुझे भी तो जाना ही है पर इतनी गति से ? भयावह दोहन कर अपने लिए सात्विकी से राजसी सुख लिया और शोषण कर राजसी से तामसी सुख लिया और दुःख काटते कभी परिणाम को नहीं देखा. इतनी जल्दी में इतनी बड़ी जड़ता मानव को ? मुझे कुछ दिन और रहने दो, भारत मुझे बहुत अच्छा लगता है.