तदित्यनभिसन्धाय फलं यग्यतप:क्रिया: । दानक्रियाश्च विविधा: क्रियन्ते मोक्षकाड्क्षिभि: ।। गीता 17.25
श्लोक का हिन्दी अर्थ :
तत् अर्थात् ‘तत्’ नाम से कहे जाने वाले परमात्मा का ही यह सब है. इस भाव से फल को न चाहकर नाना
प्रकार के यज्ञ, तपरूप क्रियाएँ
तथा दानरूप क्रियाएँ कल्याण की इच्छा वाले पुरुषों द्वारा की जाती हैं.
श्लोक की वैज्ञानिकता
:
‘तत्’ , सब कुछ उसका यह भावना, अपने आपको सम्बद्धता से अलग करते व करवाते हुए
यज्ञ, दान व तप जैसी शक्ति संचयिता
है. यह पदार्थ और शक्ति-क्षरण से विलगाव, शांति-प्रदायक सब कुछ उसका ब्रह्म को परिभाषित करता है. अतः
काँपते हुए सम्पूर्ण ब्रह्मांड के सूक्ष्म से सूक्ष्म कण के भीतर स्थिर न्यूट्रॉन
विराजमान रहते हुए अपनी स्थिति
मात्र से वस्तु को निरंतरता से स्थानांतरित करते हुए रूपांतरित करता रहता है. यही
है, भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र, किसी क्षण को दूसरे क्षण से अलग करते रहने वाला
चक्र. समस्त जीवों में कभी किसी को दूसरे से मेल नहीं होनें देते रहने वाला विभिन्नता
से माइक्रो और मैक्रो सिस्टम्स को बदलते रखने वाला और इस कार्य को किसी के अधीनस्थ
नहीं अपने नियंत्रण में गुप्त रखने वाला, ‘तत्’ सब कुछ उसका है इसे
समझने वाले का होना है.
गंगा कहती है :
‘तत्’ , सब कुछ उसका यही है, सब कुछ मेरा. जिस तरह समस्त चीजें निरंतर अन्त को
जाती हैं. उसी तरह ‘ग्रेट प्लेन ऑफ़ इंडिया
से एक-एक बून्द जल की प्रवाह दिशा मेरी तरफ है. समस्त नदी-नाले अन्ततः मुझमें ही
मिलते हैं. ब्रह्मपुत्र, कोशी, सोन आदि बड़ी नदियाँ मेरे ही शरीर के भाग हो जाते
हैं. समस्त नदियों का भू-जल मेरा ही जल है. अतः बेसीन के समस्त जीव का कारण पालक
और अन्त मैं ही हूँ. यही
है ‘जल की सार्वभौमिकता’ यही है ‘तत्’ सब कुछ उसका व मेरा. यही है, वह मैं हूँ’.
गीता (2.70)
प्रतिष्ठित करती ,
भारत के प्रधानमंत्री
श्री नरेंद्र मोदी स्थित-प्रग्य हैं (12) :
जिस तरह अनेक नदियों के जल बिना किसी उद्दिग्नता को उत्पन्न किये हुए सब दिशाओं से परिपूर्ण समुद्र जल में समाहित हो जाता है, उसी तरह चाहे सियोल का शांति-पुरस्कार हो या विभिन्न देशों का सर्वोच्च नागरिकता का पुरस्कार हो या यू.एन.ओ का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार हो या देश के गांव-गांव के घर-घर में बिजली-गैस-शौचालय पहुचानें के कार्य से प्रफुल्लित गरीब औरत-मर्द की अन्तरात्मा की आवाज हो या डिजिटल-इन्डिया या आयुष्मान-भारत या अन्य प्रोजेक्ट्स के तहत कार्य करने वाले गांव से बाहर रहने वाले गांव-गांव के युवकों की यह आवाज मोदी जी के राज्य में भारत का सर्वांगीण विकास हो रहा है. इन समस्त प्रसंशाओं से निर्लिप्त रहते लगभग 30-35 वर्षों से अपनी भरी जवानी से अपने आप को जितेंद्रिय प्रतिष्ठित करते रहनें वाले एक लगन धुन से नि:स्वार्थ देश सेवा करते रहनें वाले भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र-मोदी स्थितप्रग्य हैं.