पंच्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध में ।सांख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ।। अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम् । विविधाश्च पृथक्चेष्टा दैवं चैवात्र पज्चयम् ।। गीता 18. 13-14 ।।
श्लोक का हिन्दी अर्थ
:
हे महाबाहु अर्जुन !
वेदांत के अनुसार समस्त कर्म की पूर्ति के लिये पाँच कारण हैं. अब तुम इन्हें
मुझसे सुनों. कर्म का स्थान (शरीर), कर्ता, विभिन्न इन्द्रियाँ अनेक प्रकार की
चेष्टाएँ तथा परमात्मा - ये पाँच कर्म के कारण हैं.
श्लोक की वैज्ञानिकता
:
शरीर को समझ कर ही शरीर
के कर्म को समझा जा सकता है. शरीर 1. आत्मा का वासस्थल रहने का स्थान है 2. आत्मा का कर्मस्थल, कर्म करने का
स्थान है 3. यह शस्त्रागार कर्म करने के
विभिन्न औजार, इन्द्रियों का स्थान है 4. यह कर्म निरूपण स्थली कर्म करने के विभिन्न तरीकों का स्थान है और 5. यह अध्यस्थली, कर्म की अध्यक्षता करने वाले न्यूट्रॉन
परमात्मा का स्थान हैं. इस तरह हरेक कर्म का विधिवत कर्म होता तब जा कर वह कर्म फल
होता.
(25) स्थित-प्रग्य
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सांख्य योगी भी हैं?
गीता (5.24) में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो पुरुष
अन्तरात्मा में ही सुख वाला है, आत्मा में ही रमण
करने वाला है और जो आत्मा में ही ज्ञान वाला है. वह सच्चिदानन्द परब्रह्म परमात्मा
के साथ एकीभाव को प्राप्त सांख्य योगी है. इसी स्थिति में कवि कहता है ‘माँ ! कभी तेरा उपकार मानने का मन करता है, तूने
यदि मुझे ऐसा भावपूर्ण हृदय न दिया होता तो क्या मैं जीवन को भोग पाता? यह सब मेरा अपना
लगता है उसका कारण भी तेरी यह कृपा ही है ? माँ ! देख न मैं इस कड़कड़ाती ठंड में इस जंगल में तंबू के
नीचे बैठा-बैठा यह शब्दांकन करता रहता हूँ, कोई विषय नहीं, बात नहीं परेशानी के
अलावा क्या? (पुस्तक-नरेन्द्र मोदी- ‘साक्षीभाव, पृष्ठ-51’ , ये हृदयस्थ बातें, कवि करता है, माँ जगदम्बा से, ठंड से कड़कड़ाती
सुनसान जंगल में, इससे सत्यापित होता कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
जी स्थित-प्रग्य रहते सांख्य योगी भी हैं.
गंगा कहती है :
तुम्हारे समस्त कर्मों की सिद्धि मेरी सुदृढ़ तकनीकी व्यवस्था में अन्तर्निहित है. मैं, मुक्ति, तिक्ष्ण संस्कार, योग-भोग-शक्ति, प्रेमभाव भक्ति और शांति समृद्धि दात्री हूँ. शास्त्र, पुराण, वेद, उपनिषद, गीता व रामायण के वैज्ञानिक विश्लेषण से मेरे बहुयामी गुणों को समझते हुए इन्हें संरक्षित करो.