19. वर्तमान के STP की समस्त समस्याओं का निदान बालूक्षेत्र-STP करेगा :
बरसात के उपरांत, अक्टूबर के बाद लगभग दो माह यानि दिसम्बर तक, “बैंक-स्टोरेज” से, वाराणसी में गंगा का जल-स्तर 61.5 मी. आर एल, रिड्यूस लेवल के नीचे रहता है. औसतन जनवरी-फरवरी में 59.12, मार्च-अप्रैल में 58.6 और मई-जून में 58.3 मी. रहता है. इन 6 महीनों के के समय में, शहर के गंगा-घाटों पर दशाश्वमेध घाट से पहले, जल में वेग शून्य के करीब रहता और गहराई भी बहुत ही न्यून रहती है. इस समय में बिजली की भी समस्या रहती है और गंगाजल-अवजल अनुपात, जो न्यूनतम 5000 होना चाहिये, वह घटकर 1000 के आस-पास हो जाता है. ऐसी परिस्थिति में, भगवानपुर -दीनापुर STP से निस्तारित अवजल में ऑक्सीजन की मात्रा 3-4 और B.O.D. भार 15-18 पी.पी.एम तक रहता है और इसे गंगा में बिना किसी डिजाइन के प्रवाहित कर दिया जाता है. जब बिजली नहीं होती या अन्य कारणों से STP बंद रहता है तो समस्त अवजल गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है और विभिन्न घाटों पर स्नान करने वाले लोग और पेय-जल आपूर्ति भयावह रूप से प्रभावित होती हैं. इन जटिल-समस्याओं का निदान बालूक्षेत्र-STP के द्वारा आसानी से कर देगा.
20. बालूक्षेत्र-STP सौर्य- ऊर्जाओं का उपयोग कर अवजल के 95-98% B.O.D. भार को व्यवस्थित करेगा :
मई-जून की दोपहर में जब वातावरण का तापमान 45.2 डिग्री सेल्सियस होता है तो नगवा, दशाश्वमेध और पंचगंगा घाट के सामने, उस पार के बालू का तापमान 58.6, 59.4 और 58.2 डिग्री सेल्सियस होता है. (तीन-बर्त्तनों में तीनों क्षेत्रों के बालू को सूर्य की रोशनी में रखकर): इन तीन बालू-सेम्पल का औसतन तापमान (मई में) क्रमशः 49.6, 50.8 और 49.3 डी. से. है और इनसे B.O.D. रिमूवल क्षमता, 27, 28.5, 33.5, 36.5, 41.8 और 43.8 डी. से. पर क्रमशः 92.8, 95.8, 96.2, 97.0, 96.8 और 96.5 % हैं. अतः बालूक्षेत्र का सौर्य ऊर्जा अवजल व्यवस्था का महान अस्त्र है. इसका उपयोग “तीन-ढलान-सिद्धान्त” का अभिन्न अंग है.