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गंगा से जुड़े नवीनतम शोध, अभियान, जानकारियां एवं विशेषज्ञों की राय
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – समन्वय के साथ मेरे शक्तिजल-धारा-प्रवाह से मिलती है मुक्ति : अध्याय 8 श्लोक 16 (गीता : 8: 16)
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“आब्रह्मभुवनालोका: पुनराबर्तितोअर्जुन ।। मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न बिद्यते:” ।। गीता : 8.16 ।। श्लोक का हिन्दी में अर्थ :हे अर्जुन ब्...
गंगा नदी - स्वामी सानंद जी के गंगा अनशन को लेकर एक आह्वान : गंगा तट से बोल रहा हूं...
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गंगा तट पर देखा मैने साधना में मातृ के सानिध्य बैठा इक सन्यासी मृत्यु को ललकारता सानंद समय का लेख बनकर लिख रहा था अमिट पन्ना। न कोई नागनाथ ...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – शिव की मस्तक-स्थली एवं गिरिराज-हिमालय के उच्च शिखरपर विराजमान गंगा : अध्याय 8 श्लोक 15 (गीता : 8:15)
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“मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम् ।। नाप्नुबन्ति महात्मानः संसिन्धिं परमां गताः” ।। गीता : 8.15 ।। मुझे प्राप्त करके महापुरुष, जो भक्ति-...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – नदी के “एनाटोमी-मोर्फोलोजी-जलप्रवाह-तकनीक” को जानना: अध्याय 8 श्लोक 14 (गीता : 8:14)
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“अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरित नित्यसः ।। तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः” ।। गीता : 8.14 ।। हे अर्जुन! जो अनन्य भाव से निरंतर मेरा...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – तुम्हारा “गंगा-योग” होना क्या है?: अध्याय 8 श्लोक 13 (गीता : 8:13)
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“ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म ब्याहरन्मामनुस्मरन् ।। यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्” ।। गीता 8.13 ।। इस योगावस्था में स्थिर होकर तथा ओंका...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – “नदी-इन्द्रियों” के समस्त द्वारों को नियंत्रित और व्यवस्थित करना: अध्याय 8 श्लोक 12 (गीता : 8:12)
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“सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च ।। मूर्ध्न्यायात्मना प्राणामास्थितां योगधारणाम” ।। गीता : 8.12 ।। समस्त इन्द्रिय क्रियाओं से विरक्ति...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – गंगा जल में है ध्वनि-तरंग-अवशोषण-शक्ति: अध्याय 8 श्लोक 11 (गीता : 8:11)
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“यदक्षरं वेदविदो वदन्ति बिशन्ति यद्यतयो बीतरागाः ।। यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरंति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये” ।। गीता: 8.11 ।। जो वेदों के...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – गंगा जल मात्र औषधि नहीं, सम्पूर्ण कोशिका व्यवस्था है: अध्याय 8 श्लोक 10 (गीता : 8:10)
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“प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।। भ्रूबोर्मध्ये प्राणमाबेश्य सम्यक् स तं परन पुरुषमुपैति दिव्यम्” ।। गीता: 8.10 ।।मृत्व के ...
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – “केन्द्रस्तध्यान” स्थिरता की सम्रृद्ध-तकनीक : अध्याय 8 श्लोक 9 (गीता : 8:9)
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“कवि पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेधः ।। सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमसः परस्तात्” ।। गीता: 8.9 ।।मनुष्य को चाहिए कि परमपुरुष क...
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