यान्ति देववृता देवान्यितृन्यान्ति पितृवृताः ।। भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्दाजिनोअ्पि माम ।। गीता : 9.25 ।।
श्लोक का हिन्दी अर्थ :
देवताओं को पूजने वाले देवताओं को, पितरों को पूजने वाले पितरों को और भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं, इसलिये मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता.
श्लोक की वैज्ञानिकता :
देवव्रताः, पितृव्रताः, भूतेज्याः, कोशिकाओं की विभिन्न व्यवस्थाओं को सम्बोधित करते हुए अन्तः एवं बाह्य शक्ति तरंगो के आवृति और आयामों के बदलते रंगों को निरूपित करता रहता है. अतः कोशिका में जल की तरलता है : इसमें बलों को सहन करने की कोई क्षमता नहीं है. इसकी शरीर-कोशिका बेहद नाजुक होती है और यह तुरंत बदल जाती है क्योंकि मन के विचारों में परिवर्तन होता है. इस प्रकार सेल का अभिविन्यास बदलते हुए ध्रुव की मूल विशेषताओं को बदलता है. विचार कोशिका की व्यवस्था को बदला, पोल केन्द्र बदल गया और शक्ति प्रवाह बदल गयी. यही है, देवता को पूजने वाले, देवता को, पितरों को पूजने वाले, पितरों को, भूतों को पूजने वाले, भूतों को अपने-अपने जीवन अभ्यास के अनूरूप प्राप्त करते हैं, उठते-बैठते जन्म लेते मरते हुए, अनंन्त काल से अपने लक्ष्य को प्राप्त होते चले आ रहे होते हैं. लेकिन परब्रह्म को पूजने वालों की दृढ़ संतुलित व्यवस्थित कोशिका और केन्द्र से निस्तारित होती रहती ऊर्धगामी शक्ति तरंगें उसे अन्त समय में अपने लक्ष्य परब्रह्म तक प्राप्त करा देता है और उसका पुनर्जन्म नहीं होता है.
गंगा कहती है :
वेदों पुराणों में, मैं देव माता हूँ, महान-साधको की मैं शक्ति प्रदायिनी माँ और उनकी तपस्या स्थली हूँ. विभिन्न जल संसाधनों के लिये मैं मात्र जल हूँ. सिंचाई विभाग के लिये मैं मात्र सिंचाई का साधन हूँ. डैम-बैरेज बनाने वालों के लिये मैं हाइड्रो पावर देने वाली हूँ, सड़क बनाने वालों के लिये मैं मालवाहक जहाज के लिये हूँ, इंडस्ट्री चलाने वालों के लिये उनके कल कारखानों के अवजल की व्यवस्था के लिये मैं ही हूँ, साधू-संतों और जनता-जनार्दनों के लिये जो भी हूँ पर मैं उनकी गंगा माँ हूँ और वैज्ञानिकों के लिये सम्पूर्ण बेसिन 10 लाख वर्ग.कि.मी में पदार्थीय, शक्तिय और वातावरणीय-संतुलंता को बरकरार रखने वाली न्यूक्लियस हूँ. यही है “जा की रही भावना जैसी, प्रभु-मूरत देखी तिन्ह तैसी”, यही है गीता की देवताओं, प्रेतात्माओं भूतों और परब्रह्म की पूजा.