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भक्ति योग
गंगा नदी और गीता - गंगा कहती है – अव्यभिचारी कर्मयोग को भक्ति-योग में परिवर्तित करो : अध्याय 14, श्लोक 26 (गीता:26).
Oct. 25, 2018, 6:50 p.m.
मां च योअव्यभिचारेण भक्तियोगेन सेवते। स गुणान्समतीत्यैतान्ब्रह्मभूयाय कल्पते ।।गीता : 14.26 ।।श्लोक का हिन्दी अर्थ :जो पुरुष अव्यभिचारी भक्...
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